प्राइम टाइम : गांधी परिवार की दो बहुओं में बढ़ रही नज़दीकियां !

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ब्यूरो (राजा ज़ैद खान) । कभी कभी खबरों में सच्चाई नहीं दिखती लेकिन वे ख़बरें सच हो जाया करती हैं । ज़रूरी नहीं कि सूत्रों के हवाले से आ रही सभी ख़बरें कयासों के आधार पर हों और वे सौ फीसदी गलत हों । आज प्राइम टाइम में हम एक ऐसी ही खबर का विश्लेषण करने जा रहे हैं जो आपके होश उड़ा सकती है वहीँ देश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल ला सकती है ।

कभी गांधी परिवार में एक छत के नीचे रहने वाली दो बहुओं के बीच राजनैतिक उत्तराधिकार को लेकर दूरियां बनी और दौनो अलग अलग रास्ते पर चल पड़ीं । एक ने गांधी परिवार के उत्तराधिकार को सम्भाला तो दूसरी बहु ने अलग पार्टी बनाकर अपनी राजनैतिक इमारत बनाना शुरू किया लेकिन वे इसमें कामयाब न हो सकीं और उन्हें कांग्रेस और गांधी परिवार की घोर विरोधी रहे जनसंघ परिवार से हाथ मिलाना पड़ा ।

वक़्त बीतता गया, जनसंघ ने नया रूप ले लिया और भारतीय जनता पार्टी बन गया लेकिन गांधी परिवार की बहुओं में दूरियां कायम रहीं । इसे गांधी परिवार की सभ्यता कहा जाए या पारिवारिक संस्कार लेकिन अलग अलग पार्टियों से जुड़े रहने के बावजूद कभी भी दौनो परिवारों ने खुलेतौर पर एक दूसरे के खिलाफ न तो कोई इलज़ाम लगाए और न ही एक दूसरे को लेकर कोई कटाक्ष किया । इतना ही नहीं दौनो परिवार एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने से भी बचते रहे ।

अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं वह खबर पूर्णतः सूत्रों पर आधारित नहीं है बल्कि इसको जांचा परखा गया है । खबर है कि गांधी परिवार की दौनो बहुओं सोनिया गांधी और मेनका गांधी के बीच दूरियां कम हो रही हैं । पिछले दिनों पीलीभीत में एक कार्यक्रम में मेनका गांधी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने के सोनिया गांधी के तरीके की खुले तौर पर तारीफ़ की और इसे सभी मीडिया चैनलों ने अपने समाचार कार्यक्रमों में प्रसारित किया था । मेनका द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तारीफ़ करना न सिर्फ एक संकेत था बल्कि सच्चाई थी कि गांधी परिवार एक बार फिर एक दूसरे के करीब जा रहे हैं ।

फिलहाल दूसरा एक बड़ा संकेत जो सूत्रों के हवाले से है कि पिछले दिनों वरुण गांधी और उनकी बहिन प्रियंका गांधी के बीच उत्तर प्रदेश की सियासत को लेकर बातचीत हुई है । यह बातचीत कितनी सकारात्मक रही इसके बारे में अभी कहना मुश्किल है लेकिन सूत्रों ने बताया कि वरुण गांधी संघ की टोकाटाकी से बेहद खिन्न हैं और उनके तेवर भाजपा के लिए अच्छा सन्देश नहीं है ।

सूत्रों ने बताया कि वरुण गांधी उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने के लिए भाजपा आलाकमान से साफ़ साफ़ शब्दों में कह चुके हैं लेकिन संघ किसी भी रूप से यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं क्यों कि वरुण गांधी संघ से दूर रहते आये हैं और वे गांधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं ।

सूत्रों ने बताया कि आने वाले समय में वरुण गांधी उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए एक बड़ी मुश्किल पैदा कर सकते हैं । इसे दूसरे तरीके से देखा जाए तो एक ही सम्भावना बनती हैं कि वरुण गांधी भाजपा त्याग कर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा बने लेकिन क्या इस मामले में कांग्रेस आलाकमान गम्भीर है अथवा इस विषय पर कांग्रेस और वरुण गांधी के बीच कोई चर्चा चल रही है ? इस पर सूत्रों ने कहा कि वरुण गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और बहिन प्रियंका से बातचीत करते रहते हैं और ये कोई नयी बात नहीं है । पहले भी उन्होंने प्रियंका गांधी से कई बार बात की है । इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव में पीलीभीत कांग्रेस द्वारा प्रियंका गांधी अथवा राहुल गांधी को प्रचार के लिए भेजे जाने की मांग की गई थी लेकिन उसे आलाकमान द्वारा नकार दिया गया था ।

सूत्रों ने बताया कि आने वाले समय में क्या होगा यह यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता लेकिन यह तय है कि पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी, प्रियंका और वरुण गांधी एक दूसरे के सम्पर्क में हैं । इसे गांधी परिवार के बीच पैदा हो रही नई संभावनाओं के तौर पर देखा जाना चाहिए । निश्चित रूप से गांधी परिवार की दो बहुओं और उनके परिवार के बीच दूरियां कम हो रही हैं जो निकट भविष्य में एक नए राजनैतिक समीकरण को जन्म दे सकती हैं ।

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