पीस पार्टी के डॉ अयूब ने प्रीती महापात्रा को यूँ जताई अहमियत
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्दलीय मैदान में उतरीं प्रीति महापात्रा की उस समय बहुत किरकिरी हुई जब नामांकन के दौरान पीस पार्टी के विधायक डॉ अयूब ने न सिर्फ उनका प्रस्तावक बनने से इंकार कर दिया बल्कि समर्थन देने से भी पल्ला झाड़ दिया ।
अयूब नामाकंन पत्रों को साइन कर चुके 10 प्रस्तावक विधायकों में से एक थे। प्रीति महापात्रा गुजरात से हैं, वे एक उद्योगपति की पत्नी हैं और भाजपा आलाकमान और पीएम नरेंद्र मोदी की करीबी बताई जाती हैं। वे खुद भी स्वीकार करती हैं कि वे पीएम मोदी से प्रभावित हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि उनका भाजपा से संबंध नहीं हैं।
जानकारों के अनुसार प्रीति महापात्रा को उत्तर प्रदेश से राज्य सभा के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतार कर भाजपा एक तीर से दो शिकार साधना चाहती हैं । निर्दलीय विधायकों के जरिये उसकी नज़र उत्तर प्रदेश में राज्यसभा सीट पर है ।
इन चुनावों के बाद राज्य सभा में भाजपा की तीन सीटें और बढ़ जाएंगी जबकि कांग्रेस की इतनी ही कम हो जाएगी। बावजूद इसके कांग्रेस राज्य सभा में सबसे बड़ी पार्टी होगी। इसी को देखते हुए भाजपा निर्दलीयों के जरिए कांग्रेस को पछाड़ने की तैयारी में हैं। भाजपा के निशाने पर झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में एक-एक सीटें और हैं।
अंदर का गणित :
चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड में भाजपा ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के लिए निर्दलीयों का समर्थन किया है। हालांकि कांग्रेस ने भी इसका सामना करने के लिए रणनीति बनाई है।
वह मायावती के समर्थन के सहारे अपने नेताओं को राज्य सभा भेजने की नीति पर काम कर रही है। सबसे पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश की। यहां पर कांग्रेस ने कपिल सिब्बल को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के यहां पर 29 विधायक हैं और उसके पास पांच विधायकों की कमी है। वह बसपा के सहारे है।
लेकिन प्रीति महापात्रा के खड़े होने के चलते कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भाजपा प्रीति का समर्थन कर रही है। साथ ही कुछ छोटी पार्टियां और निर्दलीय भी प्रीति महापात्रा के साथ हैं। सिब्बल को राज्य सभा भेजने के लिए कांग्रेस नेता बसपा और निर्दलीयों के साथ बातचीत कर रहे हैं।