दुष्कर्म के मामलो में दोहरा मापदंड क्यों, बिलकिस से रेप के आरोपियों को भी मिले फांसी

नई दिल्ली। निर्भया काण्ड में चार दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने के मामले में आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सन 2002 में बिलकिस बानो के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मृत्य दंड दिया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि बिलकिस बानो मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। इस पर टिप्पणी करते हुए ओवैसी ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट को दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग करनी चाहिए।

ओवैसी ने कहा कि गुजरात दंगों के दौरान मार्च 2002 में गर्भवती बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म करने के साथ-साथ आरोपियों ने उसकी मासूम बेटी का सिर पत्थर से दे मारा था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। दंगाइयों ने बिलकिस बाने की बहन, मां और परिवार के 11 अन्य सदस्यों की भी हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषियों को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।

ओवैसी ने ये भी कहा कि वो मुंबई हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन वो ये भी जानना चाहते हैं कि मृत्युदंड को लेकर दोहरा मापदंड क्यों है? उन्होंने कहा कि गुजरात में जब बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म हुआ और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या की गई, नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।

उन्होंने कहा कि चूंकि उनकी सरकार ने इस मामले में उचित जांच नहीं करवाई, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया। उन्होंने कहा कि मैं मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात करने वाली मोदी सरकार से जानना चाहता हूं कि क्या वो बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी, ताकि दोषियों को मृत्युदंड मिल सके।

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