गंगा को साफ़ करने के लिए उमा भारती को अभी और चाहिए 10 वर्ष

नई दिल्ली। गंगा को पूर्णतः स्वच्छ करने में अभी दस वर्ष और लगेंगे। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इस आशय की जानकारी देते हुए कहा कि गंगा की सफाई चरणवद्ध तरीके से हो रही है। इसे पूर्णतः साफ़ होने में अभी दस वर्ष का समय और लग सकता है।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि गंगा नदी की सफाई सरकार के इसी कार्यकाल में पूरी हो जाएगी। प्रमुख सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि केंद्र सरकार 2018 तक यह महात्वाकांक्षी परियोजना पूरी करेगी।

केंद्र सरकार का जवाब सुप्रीम कोर्ट में तब आया जब अदालत की बेंच ने पर्यावरणविद एमसी मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पूछा था कि उसके शासन काल में गंगा की सफाई का काम पूरा हो जाएगा या नहीं।

इस पर सॉलीसिटर जनरल रणजीत कुमार ने न्यायालय के समक्ष सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि गंगा को साफ करने का काम 2018 तक पूरा कर दिया जाएगा। अदालत ने इस बात पर रोष जताया कि पिछले 30 सालों में गंगा की सफाई के लिए कोई काम नहीं हुआ है।

लखनऊ की दसवीं कक्षा की छात्रा ऐश्वर्य शर्मा नाम की छात्रा ने 9 मई को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत पिछले दो सालों के शासनकाल में गंगा की सफाई पर हुए खर्चे को लेकर जानकारी मांगी तो खुलासा हुआ कि पिछले दो सालों में गंगा की सफाई के लिए आवंटित 3,703 करोड़ रुपये में से 2,958 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

मंत्रालय के केके. सप्रा ने 4 जुलाई को भेजे जवाब में बताया कि राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन के लिए 2014-15 में 2,137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। बाद में इसमें 84 करोड़ रुपये की कटौती कर इसे 2,053 करोड़ रुपये कर दिया गया। लेकिन केंद्र सरकार ने भारी प्रचार-प्रसार के बावजूद सिर्फ 326 करोड़ रुपये खर्च किए, और इस तरह 1,700 करोड़ रुपये बिना खर्चे रह गए।

वर्ष 2015-16 में भी स्थिति कुछ खास नहीं बदली, अलबत्ता केंद्र सरकार ने प्रस्तावित 2,750 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन को घटाकर 1,650 करोड़ रुपये कर दिया। संशोधित बजट में से 18 करोड़ रुपये 2015-16 में बिना खर्चे रह गया।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital