क्या लोकपाल से पल्ला झाड़ रही मोदी सरकार !
नई दिल्ली । क्या लोकपाल के मुद्दे पर केंद्र सरकार गम्भीर नहीं है? लोकपाल को लेकर केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को जो कारण बताया उससे ऐसा ही प्रतीत होता है ।
केन्द्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मौजूदा समय में लोकपाल की नियुक्ति करना संभव नहीं है। दरअसल, शीर्ष न्यायालय लोकपाल मामले की नियुक्ति को लेकर एक एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि वर्तमान समय में लोकसभा में विपक्ष का नेता कोई नहीं है। कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में मानने से इनकार कर दिया है। ऐसी स्थिति में लोकपाल की नियुक्ति संभव नहीं है। हालांकि रोहतगी ने कहा कि संसद के मौजूदा सत्र में बजट सरकार की प्रथामिकता थी, लोकपाल बिल संभवत : मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील शांति भूषण सरकार के इस तर्क से असहमत थे।
Central Government told Supreme Court that in the current scenario, the appointment of Lokpal is impossible
— ANI (@ANI) March 28, 2017
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत तैयार किए गए संशोधित नियमों के अनुसार लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में एनजीओ ने याचिका डाली थी। हालांकि कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
कांग्रेस ने लोकपाल के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार पर दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की गैर मौजूदगी में लोकपाल की नियुक्ति नहीं की जा सकती। कांग्रेस ने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार नहीं चाहती कि वह लोकपाल जैसे स्वतंत्र संस्थान के प्रति जवाबदेह हो और उसकी जांच हो।
कांग्रेस प्रवक्ता तथा लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने यहां संवाददाताओं से कहा, “भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार हमारे लोकतंत्र में सुनियोजित रूप से चेक एंड बैलेंस को खत्म कर रही है और पारदर्शिता तथा जवाबदेही के स्तंभों को बर्बाद कर रही है।