कन्हैया कुमार ने मांगा सहयोग, कहा ‘ये संघिस्तान बनाम हिंदुस्तान की लड़ाई है’
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जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष और देशद्रोह का आरोप झेल रहे कन्हैया कुमार अब केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए हैं । कन्हैया कुमार ने अपनी मुहिम को संघिस्तान बनाम हिंदुस्तान की लड़ाई बताया है ।
नई दिल्ली । जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष और देशद्रोह का आरोप झेल रहे कन्हैया कुमार अब केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए हैं । कन्हैया कुमार ने अपनी मुहिम को संघिस्तान बनाम हिंदुस्तान की लड़ाई बताया है ।
केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए विश्वविद्यालय छात्र संघों के नेताओं ने एकीकृत संघर्ष पर जोर दिया और जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने इसे संघिस्तान बनाम हिंदुस्तान की लड़ाई करार दिया। मतभेदों को जीवित रखकर और सेमिनारों के बाहर निकल कर एक एकीकृत मोर्चा बनाने के एआईएसएफ सदस्य कन्हैया के आह्वान को काफी समर्थन मिलता नजर आया।
आइसा की सदस्य और जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शहला राशिद शोरा, डीएसयू के पूर्व नेता उमर खालिद, इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष रिचा सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में कन्हैया के आह्वान का समर्थन किया। गौरतलब है कि भाकपा की छात्र शाखा ऑल इंडिया स्टूडेंटस फेडरेशन, भाकपा-माले की छात्र शाखा ऑल इंडिया स्टूडेंटस असोसिएशन, डेमोक्रेटिक स्टूडेंटस यूनियन अलग-अलग विचारधारा वाले वामपंथी छात्र संगठन हैं। रिचा निर्दलीय छात्र नेता हैं।
जनवरी महीने में खुदकुशी कर चुके हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला के करीबी दोस्त, एचसीयू के छात्र और अंबेडकर स्टूडेंटस असोसिएशन के सदस्य डी प्रशांत भी प्रतिरोध 2 नाम के इस कार्यक्रम में शामिल थे। इस कार्यक्रम में वाम समर्थित छात्र नेताओं को मंच साझा करते देखा गया।
रिचा ने कहा कि वैचारिक मतभेदों के बाद भी साथ आने की जरूरत है। कार्यक्रम में वामपंथी बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कन्हैया ने कहा कि उन्हें पुरानी पीढ़ी से शिकायत है कि उन्होंने मतभेद इस हद तक बढ़ा दिए हैं कि एकता लाने की कवायद में हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा, यदि आपने यह किया होता तो हमारे लिए गांधी और अंबेडकर को एकजुट करना इतना मुश्किल नहीं होता। आरएसएस की हिंसा के खिलाफ हम एक साथ खड़े क्यों नहीं होते, हमें सेमिनार हॉलों से निकलकर हमारे गांवों तक अपनी ये लड़ाई ले जानी होगी।
एनआईटी श्रीनगर में हुई हिंसा की निंदा करते हुए कन्हैया ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों के भीतर जो युद्ध छेड़ा गया है, वह लोकतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि संस्थान परिसरों को युद्ध के मैदान में बदल दिया गया है। उन्होंने कहा, मैं श्रीनगर में हुई हिंसा और एचसीयू में हुई हिंसा की निंदा करता हूं क्योंकि यह संस्थागत हिंसा है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
शहला ने कहा कि राजनीतिक संगठन अक्सर अपने मतभेदों को दरकिनार कर एक साथ आने की जरूरत पर जोर देते हैं। उन्होंने कहा, हम कहेंगे कि हम अपने मतभेद जीवित रखें, और तब उन्हें हराने के लिए एकजुट हों। हम इस राजनीतिक विविधता पर गर्व करते हैं।