उत्तर प्रदेश: रिज़र्व बैंक के नियमों के चलते किसानों की कर्जमाफी खटाई में !
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में किसानो की क़र्ज़ माफ़ी सरकार की घोषणा के बाद अब रिज़र्व बैंक के नियमो के कारण अधर में लटकी है। रिज़र्व बैंक का कहना है कि राज्य सरकार तय सीमा से ज्यादा कर्ज नहीं ले सकती। अब राज्य सरकार को सोचना पड़ेगा कि किसानो को कैसे राहत दी जाए।
सूत्रों के अनुसार अब योगी सरकार के समक्ष सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि वह किसानो के एक लाख तक के कर्ज माफ़ करने का एलान कर चुकी है और उसके इसलिए लिए रिज़र्व बैंक से हरी झंडी नहीं मिल रही है।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को पचास दिन पूरे हो चुके हैं। किसानो के कर्ज माफ़ी का जल्द कोई हल नहीं निकला तो न सिर्फ सरकार की किरकिरी होगी बल्कि कर्ज माफ़ी की दिशा में प्रगति न होने पर प्रदेश के किसानो के भड़कने का भी अंदेशा है।
दरअसल बैंकों के लिए सरकारी बॉन्ड एक तरह की बैंक गारंटी होती है कि बैंक किसानों से कर्ज का पैसा न लें यूपी सरकार बैंक को पैसे चुकाएगी और ऐसे किसानों का कर्ज माफ होता है लेकिन आरबीआई का कहना है कि अगर यूपी सरकार को बॉंड के बदले ज्यादा कर्ज दिया तो देश के सारे प्रदेश कर्जे की लाइन में लग जाएंगे और इससे देश का आर्थिक बजट बिगड़ जाएगा।
एबीपी न्यूज़ के अनुसार इस फॉर्मूले के फेल होने पर नीति आयोग के साथ बैठक करके योगी सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती करने का मन बनाया है, लेकिन 36 हजार करोड़ का इंतजाम कैसे हो ये बड़ी चुनौती है। वहीँ यह भी चर्चा है कि योगी सरकार किसानों के कर्ज माफ करने के बदले पैसे बचाने और पैसे जुटाने का फॉर्मूला तैयार कर रही है।
खर्च में कटौती कर 12 से 15 करोड़ जुटाने की योजना है, इसके अलावा पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त सेस लगाकर साढ़े सात हजार करोड़ रुपये के इंतजाम पर विचार हो रहा है।
फिलहाल योगी सरकार ने मुख्य सचिव की अगुवाई में आठ सीनियर आईएएस अधिकारियों की एक कमेटी बनायी है, जो छत्तीस हज़ार करोड़ रुपयों के जुगाड़ के लिए फार्मूला बना रही है लेकिन कमिटी कोई रास्ता निकाल सके ऐसा मुमकिन नहीं लगता।