उत्तराखंड : खिसियानी बिल्ली साबित हो रही भाजपा, संयुक्त प्रगतिशील मोर्चे ने दिखाया ठेंगा
देहरादून । न खुदा ही मिला न बिसाल-ए -सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे… उत्तराखण्ड में भाजपा का कुछ ऐसा ही हाल हुआ है । भाजपा सूत्रों से मिल रही ख़बरों के अनुसार उत्तराखण्ड में सरकार बनाने के भाजपा के सपने चकनाचूर हो चुके हैं ।
भाजपा को उम्मीद थी कि कम से कम तीन निर्दलीय और एक उत्तराखंड क्रांति दल का विधायक टूट कर उनके साथ आ जाएंगे और राज्य में भाजपा की सरकार बन जायेगी लेकिन संयुक्त प्रगतिशील मोर्चे ने भाजपा को ठेंगा दिखा दिया है। जिससे अब सूबे में भाजपा की सरकार बनने के रास्ते बंद हो गए हैं।
भाजपा ने तीन निर्दलीय और एक उत्तराखंड क्रांति दल के विधायक को कांग्रेस से अलग करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था। सूत्रों के अनुसार भाजपा के रणनीतिकारों ने इन चारों विधायकों को कैबिनेट मंत्री बना कर क्रीमी विभाग देने की पेशकश भी की थी।
सूत्रों के अनुसार राज्य में जिस तरह से हरीश रावत सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया, उससे हरीश रावत के प्रति सूबे की जनता में सहानुभूति सी उपजी है। जिसको भांपते हुए ही संयुक्त प्रगतिशील मोर्चे के विधायकों ने भाजपा के साथ जाने की बजाय हरीश रावत के साथ रहने में ही राजनीतिक फायदा देखा है।
फिलहाल उत्तराखंड में जो राजनैतिक स्थति है उसे देखकर लगता है कि भाजपा ने हरीश रावत सरकार को सस्ते में निपटाकर राज्य में सरकार बनाने का जो स्वप्न देखा था वह अब चकनाचूर हो चूका है ।