ईवीएम में वीवीपैट के इस्तेमाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी और ईवीएम में वीवीपैट इस्तेमाल करने की मांग करनेवाली बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के अत्ताउर रहमान की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से जवाब देने का निर्देश दिया है ।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि अखबारों में ये खबर छपी है कि वीवीपैट के लिए तीन हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने स्वीकृत किए हैं । इस मसले पर निर्वाचन आयोग से पूछा जाना चाहिए।

पिछले 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा था कि एक देश को छोड़कर कोई दूसरा देश ईवीएम का इस्तेमाल नहीं करता तो कोर्ट ने पूछा कि क्या ये आपकी सरकार नहीं थी जिसने ईवीएम शुरु किया था।

बहुजन समाज पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में ही वीवीपैट इंस्टॉल करने का आदेश दिया था, लेकिन उसके बावजूद केंद्र सरकार निर्वाचन आयोग को पेपर ट्रेल वाले ईवीएम के लिए फंड नहीं देती है। याचिका में चुनाव में ईवीएम का प्रयोग करने के जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 61(1)(ए) के तहत दिये गये प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया कि ईवीएम से चुनाव में मतदाताओं के अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का हनन होता है। मतदाता को यह नहीं पता चलता कि वह किसको मत दे रहा है। इससे अनुच्छेद 324 में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का भी उल्लंघन होता है।

याचिका में कहा गया है कि कि यूपी और उत्तराखंड के चुनाव में ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ और हैकिंग की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी वाली उच्च स्तरीय कमेटी से कराई जाए। इसके अलावा केन्द्र और राज्य के उन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए जो लोग ईवीएम को छेड़छाड़ और हैकिंग से रोकने की अपनी जिम्मेदारी में नाकाम रहे।

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TeamDigital