ईरान में सुषमा स्वराज द्वारा सिर ढकने का मुद्दा सोशल मीडिया पर गूंजा

ईरान में सुषमा स्वराज द्वारा सिर ढकने का मुद्दा सोशल मीडिया पर गूंजा

sushma-iran

नई दिल्ली । रविवार की शाम तेहरान में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाक़ात में राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाक़ात के दौरान अपना सिर ढक लिए जाने का मामला सोशल मीडिया साइट्स तक पहुँच गया है । यह मामला टविटर पर उस समय शुरू हुआ जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने मुलाक़ात की जो तस्वीर ट्वीट की है, उसमें सुषमा स्वराज गुलाबी रंग की शॉल से पूरी तरह ढकी हुई दिख रही हैं ।

इस मामले को आगे बढ़ाते हुए पाकिस्तानी मूल के स्तंभकार तारेक फ़तह ने सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, “सुषमा जी यह शर्मनाक़ है । आप साड़ी पहनकर भी अपने सिर पर पल्लू रख सकती थीं । “वहीँ पत्रकार शिव अरूर ने लिखा, “देखकर अच्छा लगा कि सुषमा स्वराज को ईरान में अपने आपमें कोई बदलाव नहीं लाना पड़ा । “

देखते ही देखते टविटर पर सुषमा स्वराज के नए गैटअप पर नई बहस शुरू हो गई । एकता राजोरिया ने ट्वीट किया, “स्थानीय परंपराओं का सम्मान करना सही है । “लेकिन ‘एक हिंदू’ के नाम से संचालित एक अकाउंट से भड़काऊ भाषा में लिखा गया, “सुषमा स्वराज जैसे हमारे नेता ज़बर्दस्ती इस्लामी पोशाक पहनाए जाने के ख़िलाफ़ बोलने से डरते हैं । “

बहराल भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और ईरान के राष्ट्रपति ने दोनों देशों की क्षमताओं व संभावनाओं की ओर संकेत किया और कहा कि दोनों देशों के अनेक संयुक्त हित हैं। उन्होंने कहा कि ईरान और भारत आर्थिक संबंधों के रणनैतिक विस्तार के साथ साथ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भी एक दूसरे से भरपूर सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने ईरान व भारत के उच्चाधिकारियों की दोनों देशों की हालिया व आगामी यात्राओं को संबंध विस्तार में प्रभावी बताते हुए कहा कि ईरान और भारत की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे की पूरक हैं और ईरान, भारत के विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति का संतोषजनक स्रोत हो सकता है।

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मुलाक़ात में कहा कि उनका देश ईरान के साथ सभी क्षेत्रों में संबंध विस्तार का इच्छुक है। उन्होंने ईरान और भारत की जनता के मज़बूत रिश्तों को दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग का आधार बताया। सुषमा स्वराज ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को ऊर्जा की ज़रूरत है और हम दोनों देशों के हितों पर आधारित समरसतापूर्ण संबंध स्थापित किए जाने के इच्छुक हैं और ये रिश्ते व्यापारिक सहयोग से इतर होने चाहिए।

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