आपकी राय : क्या गांधी परिवार को देशहित में एक हो जाना चाहिए

आपकी राय : क्या गांधी परिवार को देशहित में एक हो जाना चाहिए

ब्यूरो(राजा ज़ैद)। यूँ तो संजय गाँधी की मौत के बाद ही गांधी परिवार के बीच दीवार दीवार खड़ी हो गयी थी। दीवार के इस पार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और दीवार के दूसरी तरफ स्वर्गीय संजय गाँधी का परिवार था।

इंदिरा गांधी की मौत के बाद लोगों को उम्मीद थी कि शायद अब राजीव गाँधी गांधी परिवार की इस टूटी डोर को एक बार फिर से जोड़ लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कारण जो भी रहे हों लेकिन गांधी परिवार लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप एक सूत्र में नहीं बंध सका।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत के बाद भी हालत जस के तस रहे। यह वह समय था जब सोनिया गांधी द्वारा खुद को कांग्रेस और राजनीति के एक फैसले से बहुत सी चीज़ें रातोरात बदल गयीं। सोनिया गांधी के इंकार के बाद पीवी नरसिंहराव ने कांग्रेस की कमान संभाली और प्रधानमंत्री भी बने। पीवी नरसिंहराव के हाथो में कांग्रेस की कमान पहुँचने से न सिर्फ पार्टी कमज़ोर हुई बल्कि पीवी नरसिंहराव के प्रधानमंत्रित्व काल में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने की वह घटना भी हुई जिसके लिए आज भी देश का मुसलमान कांग्रेस को ज़िम्मेदार मानता है।

कई वर्षो बाद अंततः सोनिया गाँधी ने कांग्रेस की कमान संभाली लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गाँधी परिवार का दूसरा हिस्सा मेनका गाँधी और वरुण गाँधी के तौर पर बीजेपी के साथ खड़ा हो चूका था। हालाँकि गांधी परिवार में दोनो ही तरफ से मर्यादा का बखूबी पालन होता रहा है। कभी परिवार के किसी सदस्य ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप नहीं किये।

इतना ही अलग अलग राजनैतिक दलो में होने के बावजूद राजनैतिक बदले की भावना से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव भी नहीं लड़ा। इसे गांधी परिवार की सभ्यता और संजीदगी कहा जा सकता है कि परिवार से अलग होने के बावजूद कभी मेनका गाँधी -वरुण गाँधी, सोनिया गाँधी – राहुल गाँधी ने एक दूसरे के चुनावी क्षेत्र में जाकर सभाओं को सम्बोधित करने से भी परहेज किया।

इस दौरान मीडिया में कई बार इस तरह की ख़बरें आयीं हैं कि प्रियंका- राहुल का वरुण गांधी से मिलमिलाप होता रहता है। इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि प्रियंका राहुल और वरुण गांधी लगातार एक दूसरे के सम्पर्क में बने रहते हैं।

पिछले दिनों वरुण गांधी को लेकर एक खबर वायरल हुई थी जिसमे कहा गया था कि उनका बीजेपी से मोहभंग हो चूका है और वे कभी भी कांग्रेस में शामिल होकर बड़ी ज़िम्मेदारी निभा सकते हैं। यह खबर इतनी वायरल हुई कि खुद बीजेपी आलाकमान भी यह मानकर चलने लगा कि वरुण गांधी कांग्रेस के सम्पर्क में हैं। सम्भवतः यही कारण था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावो में वरुण गांधी को बीजेपी आलाकमान ने कोई बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं दी।

गांधी परिवार से जुड़े लोग आने वाले समय में एकजुट होंगे या नहीं , इस विषय में कोई कयास लगाना मुंमकिन नहीं है लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि गांधी परिवार की एकजुटता बीजेपी जैसे दलों को रातोरात हाशिये पर खड़ा कर सकता है।

जानकारों की राय में यदि राहुल और वरुण एक प्लेटफॉर्म पर आ जाये तो कांग्रेस को किसी और दल से गठजोड़ की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वरुण गांधी अच्छे वक्ता है और संघ से परहेज करते हैं। जानकारों के अनुसार दोनो नेताओं के एक प्लेटफोर्म पर आने से जनता में बेहद पॉजिटिव सन्देश जायेगा।

वहीँ कांग्रेस से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि गांधी परिवार को एकजुट करने का समय निकल चूका है। अब शायद से असम्भव सा लगता है। हालाँकि इन नेताओं की राय भी यही है कि वरुण और राहुल की जोड़ी सुपरहिट हो सकती है इसमें कोई संदेह नहीं है।

हम इस विषय में आपकी राय भी जानना चाहते हैं। क्या देश हित में गांधी परिवार को एकजुट होना चाहिए ? अगर हाँ तो इसका देश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा ? आपकी राय का हमे इंतज़ार रहेगा। अपनी राय देने के लिए नीचे कमेंट बॉक्स में टाइप करें।

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TeamDigital