अयोध्याविवाद को कोर्ट के बाहर हल करने को कहा जाता है तो तीन तलाक पर कोर्ट का दखल क्यों

नई दिल्ली। जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष अरसद मदनी ने कहा है कि जब राम मंदिर बाबरी मस्जिद जैसे संवेदनशील मुद्दे को सुप्रीमकोर्ट कोर्ट के बाहर आपसी सहमति से हल करने के लिए कहता है तो तीन तलाक के मुद्दे पर कोर्ट क्यों दखल दे रहा है। उन्होंने कहा कि ये मामला मुसलमानो से जुड़ा है इसे भी कोर्ट के बाहर मुस्लिम उलेमा बैठकर हल कर सकते हैं।

अरशद मदनी ने कहा कि प्रधानमंत्री तीन तलाक के राजनीतिकरण न करने की बात कहते हैं, लेकिन तीन तलाक के मुद्दे पर राजनीति कौन कर रहा है ? कम से कम मुसलमान तो इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा अपनी सभाओं और बयानों में कौन उछाल रहा है यह किसी से छिपा हुआ नहीं है।

अरशद मदनी ने कहा कि तीन तलाक पर अदालती हस्तक्षेप की जगह उलेमाओं की आपसी सहमति से हल निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब प्रधानमंत्री ने कहा कि “मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय नहीं हो रहा। क्या ये कहना राजनीति नहीं है। क्या आप मुसलमानो के ऊपर राजनीति करना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एक बार दोनो समुदायों में तलाक का अनुपात देखें। उन्हें मालूम हो जायेगा कि तलाक मुसलमानो में अधिक होते हैं या हिन्दुओं में। उन्होंने कहा कि इस देश में मुसलमान एक हज़ार साल से अधिक समय से रह रहे हैं। क्या इतने लम्बे समय से मुस्लिम महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है।

उन्होंने कहा कि तीन तलाक का नाम लेकर देश में मुसलमानो की छवि ख़राब करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि मुसलमानो में एक हज़ार शादियों में कभी किसी का एक तलाक होता है। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री से मेरी कभी मुलाकात हुई तो मैं उनके समक्ष ये सच्चाई ज़रुर रखूँगा।

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TeamDigital