अमेरिका में मोदी : 2008 में जिस डील का किया विरोध, उसी को बताया सर्वश्रेष्ठ
नई दिल्ली । अमेरिकी कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर 64 बार तालियां बजाई गई। पीएम मोदी ने अमेरिका और भारत को दोस्त बताया और अपने भाषण में एक बार भी मनमोहन सिंह का नाम नहीं लिया। जबकि उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर डील का जिक्र किया। दिलचस्प बात है कि न्यूक्लियर डील मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुई थी।
उस समय इस डील को लेकर उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। यहां तक भाजपा भी इसके विरोध में थी और संसद में इस पर काफी हंगामा हुआ था। इसी डील पर पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था, ”2008 में कांग्रेस ने भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर को-ऑपरेशन समझौते को मंजूरी दी थी। इससे हमारी दोस्ती का रंग बदल गया।”
यहां पर यह बात गौर करने लायक है जहां पीएम मोदी ने उनसे पहले प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का नाम नहीं लिया। वहीं मनमोहन सिंह ने 19 जुलाई 2005 को अपने भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र तक नहीं किया था। उनके बजाय मनमोहन ने राजीव गांधी का नाम लिया था।
गौरतलब है कि वाजपेयी ने साल 2000 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था। उन्होंने अपने भाषण में अमेरिका और कांग्रेस को प्राकृतिक साथी बताया था। मनमोहन ने वाजपेयी के ‘प्राकृतिक साथी’ वाली टर्म का जरूर प्रयोग किया था। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कुल 2754 शब्द बोले। वहीं मनमोहन ने 3264 शब्द बोले।
मोदी ने भाषण में कहा कि भारत के संविधान पर अमेरिका का असर पड़ा। उन्होंने संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर का नाम लिया। जबकि मनमोहन सिंह ने जवाहर लाल नेहरू का नाम लिया था। मनमोहन सिंह ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का नाम कई बार लिया था। वहीं पीएम मोदी ने वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा का नाम काफी कम बार लिया। इसी प्रकार मोदी के भाषण में आठ महापुरुषों का जिक्र किया गया जबकि मनमोहन के भाषण में केवल चार महापुरुषों का जिक्र था।