“द कश्मीर फाइल्स” एक वल्गर प्रोपेगंडा फिल्म, यह फिल्म फेस्टिवल के लायक नहीं: IFFI जूरी चेयरमैन
पणजी। इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के समापन में जुरी चेयरमैन नादव लापिड ने द कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने इस फिल्म को अश्लील प्रोपेगंडा करार देते हुए फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म को शामिल किये जाने पर नाराज़गी जताई।
ज़राइली फिल्म निर्माता और जूरी के चेयरमैन नादव लापिड ने कहा कि ‘द कश्मीर फाइल्स’को एक प्रोपेंगेंडा के तहत बनाया गया है। हम सभी 15वीं फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ से परेशान और हैरान थे, यह फिल्म हमें प्रोपेगेंडा से ज्यादा कुछ नहीं लगी। इसकी कहानी बिल्कुल अश्लील और कमजोर थी। यह फिल्म इतने बड़े प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के लिए कहीं से भी फिट नहीं है, यह फिल्म बिल्कुल बेकार है।”
जूरी चेयरमैन नादव लापिड ने यह भी कहा कि “मैं इस मंच पर खड़े होकर अपनी भावनाओं को अच्छी तरह साझा कर सकता हूं, मैं इसमें सहज हूं। ऐसे एक आलोचनात्मक टिप्पणी समझे और स्वीकार करें क्योंकि फिल्म समारोह इसीलिए आयोजित किए जाते हैं।”
गौरतलब है कि गोवा की राजधानी पणजी में 20 नवंबर को 53वां इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल शुरू हुआ था। सोमवार को इस फिल्म समारोह का अंतिम दिन था। इस फिल्म फेस्टिवल में विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स भी दिखाई गई थी।
द कश्मीर फाइल्स पहले दिन से ही विवादों के घेरे में रही है। इस फिल्म में दिखाए गए दृश्यों को लेकर सवाल उठ चुके हैं। कश्मीर से कश्मीरी पंडितो के पलायन को लेकर इस फिल्म की कहानी में काल्पनिक घटनाओं को जोड़ने के आरोप भी लगे थे।
इतना ही नहीं इस फिल्म को लेकर जिस तरह एक राजनीतिक दल की तरफ से प्रचार किया गया उससे साफ़ हो गया था कि इस फिल्म के पीछे कोई राजनीतिक मकसद अवश्य है। बीजेपी शासित राज्यों में इस फिल्म को टेक्स फ्री कर दिया गया था।