मां का जनाजा उठ रहा था, वह दर्द में स्टंप तोड़ रहा था! – Naseem Shah की कहानी रुला देगी।

मां का जनाजा उठ रहा था, वह दर्द में स्टंप तोड़ रहा था! – Naseem Shah की कहानी रुला देगी।

Ind vs pak asiacup 2022: एक ऐसी कहानी नसीम शाह के बारे में पता चली है जो आपका दिल चीर देगी और साथ ही साथ इस खिलाड़ी के जज्बे को सैल्यूट करने पर मजबूर कर देगी। यह है नसीम शाह की कहानी-

जब Naseem Shah की माँ का जनाजा उठ कर था-

कहते हैं जब सोने को कुंदन बनाना होता है तो आग की भट्टी पर तपाना पड़ता है। नसीम शाह नाम का कुंदन संघर्ष की आग की भट्टी में ही तपकर कुंदन बना। नसीम की जिंदगी में जब वह 16 साल के थे एक इतना बड़ा दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था कि कोई दूसरा खिलाड़ी होता तो शायद टूट कर बिखर जाता। नसीम पाकिस्तान में संघर्ष का दूसरा नाम है।

आज से 3 साल पहले 2019 में नसीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कहर बनकर टूट पड़े थे तूफानी इस पल में 2 विकेट लेने वाले नसीम के बारे में तब शायद कम ही लोगों को यह पता था कि उनकी आंखों में आंसू जम गए थे।

“क्योंकि उधर पाकिस्तान में नसीम की मां का जनाजा उठ रहा था और उधर नसीम अपनी टीम पाकिस्तान के लिए अपने देश के लिए मैदान पर सब कुछ झुकने को तैयार था नसीम शाह को आखरी बार अपनी मां को देखने तक का मौका नहीं मिला। “

अपनी माँ की वजह से ही बने क्रिकेटर

नसीम अपनी मां के बहुत ही लाडले थे वह अपनी मां की वजह से ही क्रिकेटर बन पाए क्योंकि नसीम के पिता क्रिकेट के सख्त खिलाफ थे लेकिन वह अपनी मां की सपोर्ट की वजह से ही क्रिकेट की दुनिया में आगे निकल पाए उन्होंने खुद एक चैनल में कहा था। “मेरी अम्मी के साथ मेरी बहुत अटैचमेंट थी मेरी अम्मी ने ही मुझे काबिल बनाया कि मैं क्रिकेट खेल सकूं क्योंकि मेरे अब्बू बहुत सख्ती से क्रिकेट के लिए मना करते थे। मां सपोर्ट नहीं करती तो शायद में पाकिस्तान के लिए कभी क्रिकेट नहीं खेल पाता”

लंगड़ाया, दर्द सहा लेकिन खेलता रहा नसीम

पूरी दुनिया नसीम शाह की तब दीवानी हो गई उसके जज्बे को सलाम कर बैठे जब भारत के खिलाफ नसीब ने लंगड़ाते हुए भी दर्द से कराहते हुए भी अपने देश के लिए जज्बा दिखाया और अपना पूरा ओवर किया। उमस और गर्मी से नसीम शाह को क्रैश हो गया था। एक समय ऐसा आया था जब वह लड़खडाने लगे थे दर्द से चीखने लगे थे। 140km/h की बेस निकालकर भारत की नाक में दम करने वाले नसीम शाह के लिए बाबर आजम ने 18 ओवर सेट कर रखा था उधर नसीम शाह पैर के दर्द से पूरी तरह से करहा रहे थे।

लाख कोशिशों के बाद भी नसीम शाह को आराम नहीं मिल रहा था लेकिन उसके दिल में अपने देश के लिए अपनी टीम के लिए कुछ कर गुजरने का उतना ही जज्बा था जितना हार्दिक पांड्या के बल्ले में अपनी टीम को जिताने का था। मैदान पर भारत और पाकिस्तान के फैंस की तालियों के बीच वह उठा बाबर से बॉल ली केएल राहुल और सूर्यकुमार यादव को पवेलियन भेजा।

पाकिस्तान की उम्मीदों को जिंदा रखने के लिए रविंद्र जडेजा को लगभग एलपीडब्ल्यू कर ही दिया था लेकिन थर्ड एंपायर ने पाया की गेंद लाइन से थोड़ी बाहर चली गई है। लेकिन इस ओवर में नसीम शाह को फिर से फिजियो को बुलाना पड़ा लेकिन उसे आराम नहीं मिला और कराते हुए उसने अपना यह आवर पूरा किया। इसके बाद नसीम लंगड़ा ते हुए आंसुओं पूछते हुए मैदान से बाहर गए।

आजकल ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं लेकिन हम नसीम के इस जज्बे को सलाम करते हैं बात यह मायने नहीं रखती की कौन सी टीम जीती है कौन सी हारी है फैंस के दिलों में जगह बनाने के लिए कौन अपनी टीम के लिए कितना अच्छा प्रदर्शन करता है कितनी गहराई तक अपनी टीम के लिए लड़ सकता है यह बात मायने रखती है और नसीम शाह ने यही कर दिखाया। जिसने पाकिस्तानियों के दिलों में ही नहीं बल्कि भारतीय फैंस के दिलों पर भी राज कर लिया। आपको हमारी यह रिपोर्ट कैसी लगी कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और पोस्ट को आगे शेयर करें।

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TeamDigital