अपने ही पैरो पर कुल्हाड़ी चला रही बीजेपी, पुराने नेताओं को इग्नोर करना पड़ सकता है महंगा
अहमदाबाद। गुजरात में नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल द्वारा अपने मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों को इग्नोर कर नए अनुभवहीन चेहरों को स्थान दिए जाने से बीजेपी के कई विधायक और नेताओं में नाराज़गी है।
राज्य के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने नए मंत्रिमंडल में पुराने सभी मंत्रियों को हटाकर 24 नये चेहरों को शामिल किया है। मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से कई विधायक और पूर्व मंत्री नाराज़ बताये जाते हैं।
गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में बीजेपी ने भले ही एक बड़ा एक्सपेरिमेंट किया है लेकिन जानकारों की राय में यह एक्सपेरिमेंट जनता के गले उतरने वाला नहीं हैं। जानकारों के मुताबिक, बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में पुराने और अनुभवी बीजेपी नेताओं को इग्नोर करने की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
वहीँ बीजेपी सूत्रों की माने तो भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाये जाने से लेकर उनके मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गृहमंत्री अमित शाह की बड़ी भूमिका बताई जा रही है, लेकिन जानकारों का कहना है कि अभी बीजेपी में तूफ़ान आने से पहले जैसी ख़ामोशी है। गृहमंत्री अमित शाह और पीएम मोदी के कारण अभी भले ही शांति नज़र आ रही है लेकिन जैसे जैसे चुनाव करीब आएंगे बीजेपी के कद्दावर नेता खुलकर बोलना शुरू कर देंगे।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक, पटेल समाज के कद्दावर नेता और डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे नितिन पटेल को बाहर का रास्ता दिखाया जाना बीजेपी के लिए अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। भले ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल खुद भी पटेल समुदाय से आते हैं लेकिन नितिन पटेल से उनकी तुलना नहीं की जा सकती।
फिलहाल देखना है कि आने वाले समय में नए मुख्यमंत्री किस तरह राज्य बीजेपी को एकता के सूत्र में पिरोये रखने में सफल रहते हैं। जहां तक राज्य में पार्टी संगठन का प्रश्न है तो कहा जा रहा है कि राज्य बीजेपी अध्यक्ष पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी हैं जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री गृहमंत्री अमित शाह के करीबी हैं। ऐसे में आने वाले समय में संगठन और सरकार के बीच कलह होना तय माना जा रहा है।