अंजुम बदायूनी की ग़ज़ल: चेहरे पे तेरे तेहरीरें कुछ

अंजुम बदायूनी की ग़ज़ल: चेहरे पे तेरे तेहरीरें कुछ

ग़ज़ल

चेहरे पे तेरे तेहरीरें कुछ

होटों पे मगर तफसीरें कुछ

आँखों में चमकते ख्वाब कई

खामोश मगर ताबीरें कुछ

क्यूँ देती हैं दस्तक रह रह कर

नजरों में भरी तस्वीरें कुछ

है माइले बकशिश शाने खुदा

हम भी तो करें तदबीरें कुछ

कांधों पे सुनहरा दौर लिए

हैं सहमी हुई तकदीरें कुछ

फिर शौक हुआ सरकश ‘अंजुम’

खामोश हुईं ज़न्जीरें कुछ

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