गडकरी के बाद आरएसएस ने माना “देश में आर्थिक असमानता, सब कुछ ठीक नहीं है”

गडकरी के बाद आरएसएस ने माना “देश में आर्थिक असमानता, सब कुछ ठीक नहीं है”

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बाद अब बीजेपी की रीड की हड्डी कहे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने स्वीकार किया है कि देश आर्थिक विषमताओं से जूझ रहा है और देश में सबकुछ ठीक नहीं है।

इतना ही नही आरएसएस ने देश में बढ़ती बेरोज़गारी और गरीबी को भी स्वीकार किया है। संघ के कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि देश में सबकुछ ठीक है, ये मानना सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक असमानता भी देश के लिए चुनौती है। इसके लिए भी देश को सोचना होगा। देश में गरीबी है, बेरोजगारी है। लेबर कोर्ट के हिसाब से 7.6 फीसदी बेरोजगारी है। देश में 20 करोड़ से अधिक गरीब हैं।

गौरतलब है कि मंहगाई और बेरोज़गारी के अलावा देश में आर्थिक असमानता को लेकर विपक्ष सरकार से लगातार सवाल करता रहा है लेकिन सरकार की तरफ से हमेशा विपक्ष के आरोपों को झूठा करार दिया गया है।

क्या कहा था नितिन गडकरी ने:

अभी हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी देश में गरीबी और बेरोज़गारी का मामला उठाया था। एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने कहा था कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और एक समृद्ध देश होने के बावजूद यहां की जनसंख्या गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, जातिवाद, अस्पृश्यता और महंगाई का सामना कर रही है।

नागपुर में एक कार्यक्रम में पहुंचे गडकरी ने कहा कि देश के भीतर अमीर और गरीब के बीच की खाई गहरी हो रही है जिसे पाटने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि ‘हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था हैं और पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हम एक अमीर देश हैं जिसकी आबादी गरीब है। हमारा देश समृद्ध है लेकिन इसकी जनसंख्या गरीब है जो भुखमरी, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, जातिवाद, अस्पृश्यता और कई अन्य मुद्दों का सामना कर रही है जो समाज की प्रगति के लिए ठीक नहीं हैं।’

उन्होंने कहा था कि इस समय समाज के भीतर समाजिक एवं आर्थिक समानता की जरूरत है। समाज के इन दो हिस्सों के बीच फासला बढ़ा है। आर्थिक विषमता भी सामाजिक असमानता की तरह बढ़ी है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital