अमेरिकी आयोग ने नागरिकता विधेयक को बताया गलत, अमित शाह पर प्रतिबंध लगाने की मांग

अमेरिकी आयोग ने नागरिकता विधेयक को बताया गलत, अमित शाह पर प्रतिबंध लगाने की मांग

नई दिल्ली। सोमवार को लोकसभा में पास हुए नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर जहाँ विपक्षी दलों के अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों में बड़ा विरोध हो रहा है वहीँ वहीं अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर बने एक अमेरिकी आयोग ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की है।

आयोग ने कहा है कि यह विधेयक गलत दिशा में एक खतरनाक मोड़ है। उसने सरकार से मांग की है कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो गृह मंत्री अमित शाह पर अमेरिका प्रतिबंध लगाए।

सोमवार को जारी एक बयान में, यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने कहा, “अगर नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है, तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और अन्य प्रमुख नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंधों पर विचार करना चाहिए।”

यूएससीआईआरएफ ने आरोप लगाया कि नागरिकता संशोधन बिल (कैब) आप्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं है। इस तरह यह विधेयक नागरिकता के लिए धर्म के आधार पर कानूनी मानदंड निर्धारित करता है।

उसने कहा, ‘‘ नागरिकता संशोधन बिल (कैब) गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है। यह भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलवाद के समृद्ध इतिहास और भारतीय संविधान का विरोधाभासी है जो धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है।’’

इतना ही नहीं आयोग ने असम में चल रही राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) की प्रक्रिया और गृह मंत्री शाह द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के बारे में कहा, ‘‘ यूएससीआईआरएफ को यह डर है कि भारत सरकार भारतीय नागरिकता के लिए धार्मिक परीक्षण के हालात पैदा कर रही है जिससे लाखों मुस्लिमों की नागरिकता पर संकट पैदा हो सकता है।’’ उसने यह भी कहा कि भारत सरकार करीब एक दशक से अधिक समय से यूएससीआईआरएफ के वक्तव्यों और वार्षिक रिपोर्टों को नजरअंदाज कर रही है।

वहीँ नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पाकिस्तान ने भी कड़ी आलोचना की है। पाकिस्तान ने इसे “भेदभावपूर्ण कानून” करार दिया है। पाक का कहना है कि यह दोनों पड़ोसियों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का पूर्ण उल्लंघन है और खासतौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि नवीनतम कानून, जो पाकिस्तान के नागरिकों और दो अन्य दक्षिण एशियाई देशों में मुसलमानों को छोड़कर अन्य को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करता है, आज भारतीय लोकसभा द्वारा पारित किया गया है। यह “एक झूठ पर आधारित है और पूरी तरह से है धर्म और विश्वास के आधार पर सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर मानव अधिकारों और अन्य अंतरराष्ट्रीय नियमों की सार्वभौमिक घोषणा का उल्लंघन है।”

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