नागरिकता कानून पर नोबेल विजेता ने कहा ‘इसे सुप्रीमकोर्ट को रद्द कर देना चाहिए’

नागरिकता कानून पर नोबेल विजेता ने कहा ‘इसे सुप्रीमकोर्ट को रद्द कर देना चाहिए’

बेंगलुरु। नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर नोबेल विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि मेरी नज़र में नागरिकता कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है, इसलिए सुप्रीमकोर्ट को इसे असंवैधानिक होने के आधार पर रद्द कर दिया जाना चाहिए।

मीडिया से बातचीत में अमर्त्य सेन ने कहा कि नागरिकता तय करने के लिए वास्तव में यह मायने रखता है कि एक व्यक्ति का जन्म कहां हुआ और एक व्यक्ति कहां रहता है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता, संविधान सभा में चर्चा का विषय बना हुआ था, जहां यह तय किया गया कि “इस तरह के भेदभाव के उद्देश्य के लिए धर्म का उपयोग करना स्वीकार्य नहीं होगा।”

हालाँकि अमर्त्य सेन इस बात से सहमति जताई कि ‘भारत के बाहर किसी देश में सताए जाने वाले हिंदू सहानुभूति के हकदार हैं और उनके मामलों को संज्ञान में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ”नागरिकता को धर्म से अलग रखना चाहिए लेकिन साथ ही पीड़ित या शोषित लोगों की परेशानियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।”

जेएनयू हिंसा को लेकर अमर्त्य सेन ने कहा कि ”विश्वविद्यालय प्रशासन बाहरी लोगों को परिसर में आने से नहीं रोक सकता। विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस के बीच बात होने में देरी हुई, जिसके कारण कोई भी एक्शन लिए जाने से पहले ही छात्रों के साथ हिंसा हुई।”

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TeamDigital