मुज़फ्फरनगर स्कूल मामला: सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीएसई को नोटिस जारी किया
नई दिल्ली। मुज़फ्फरनगर के एक स्कुल में एक मुस्लिम बच्चे को अन्य बच्चो से थप्पड़ लगवाने के मामले में राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार और सीबीएसई से जबाव तलब किया है। कोर्ट ने यह नोटिस महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी द्वारा मुजफ्फरनगर स्कूल शिक्षक के खिलाफ दायर रिट याचिका पर जारी किया है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने इस मुद्दे पर उठाए गए कदमों पर केंद्र सरकार, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) को भी नोटिस जारी किया।
मुज़फ़्फ़रनगर के पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच और पीड़ित बच्चे की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में एक रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि शिक्षक, जिसकी पहचान नेहा पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल तृप्ति त्यागी के रूप में की गई है, को वीडियो में बच्चों को उनके मुस्लिम सहपाठी को मारने के लिए कहते हुए देखा गया था।
गौरतलब है कि इस मामले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी द्वारा दायर याचिका में मामले की समयबद्ध और स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। याचिकाकर्ता के वकील शादान फरासत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बच्चों, विशेषकर धार्मिक अल्पसंख्यकों से संबंधित हिंसा को रोकने के लिए दिशानिर्देश और उपचारात्मक उपाय भी मांगे हैं।
याचिकाकर्ता ने अदालत से राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया कि सभी लागू आपराधिक कानून प्रावधानों को लागू करके एक आपराधिक मामला दर्ज किया जाए, न कि केवल “अपेक्षाकृत हानिरहित” अपराधों के लिए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि जब से एफआईआर दर्ज की गई है, बच्चे के परिवार पर “समझौता” करने और शिक्षक के खिलाफ मामला वापस लेने के लिए अत्यधिक दबाव डाला गया है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस ने लड़के के परिवार की शिकायत आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) – दोनों गैर-संज्ञेय अपराध के तहत दर्ज की है। ये जमानती धाराएं हैं, इनके लिए वारंट की जरूरत होती है और इनमें तत्काल गिरफ्तारी नहीं होती।