यूपी में बन रहे नए समीकरण: बीजेपी के खिलाफ सपा के बिना नए गठबंधन की संभावना
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही हलचलें तेज हो गई हैं। राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ जहां विपक्ष के एकजुट होने की कोशिशें ध्वस्त होती नज़र आ रही हैं। वहीँ इस बीच प्रदेश में नया गठबंधन बनने के आसार बनते दिख रहे हैं।
उत्तर प्रदेश को लेकर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने और किसी दल से गठबंधन न करने की बात कह चुकी है लेकिन पर्दे के पीछे से छोटे दलों का गठबंधन बनाने की कोशिशें भी जारी हैं।
हालांकि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी करीब 8 महीने का समय बाकी है। ऐसे में राज्य में बन रहे समीकरणों के बनने-बिगड़ने की संभावनाएं अधिक हैं और चुनाव आते आते स्थिति में बड़ा बदलाव हो सकता है। लेकिन कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राज्य में गैर सपा, गैर बसपा गठबंधन बनाना पार्टी की प्राथमिकता है।
पिछले विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर सपा द्वारा अंतिम समय तक किये गए तोलमोल को ध्यान में रखकर इस बार कांग्रेस सपा के समक्ष गठबंधन के लिए प्रस्ताव नहीं रखेगी। वहीँ सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अभी से छोटे दलों से बातचीत के लिए प्रयास आरंभ कर दिए हैं। जिससे चुनाव आते आते कम से कम गठबंधन की तस्वीर साफ़ हो सके।
सूत्रों ने कहा कि प्रदेश में आम आदमी पार्टी, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव लड़ने की इच्छुक बताई जाती है। दूसरी तरफ सुहेलदेव समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर भी असदुद्दीन ओवैसी, शिवपाल यादव सहित कई नेताओं से चुनाव में गठबंधन को लेकर चर्चा कर चुके हैं।
सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बदले हुए राजनैतिक हालातो को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी शिवपाल सिंह की प्रोग्रेसिव समाज पार्टी से लेकर पीस पार्टी, अपना दल, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद की आजाद समाज पार्टी सहित कई दलों को अपने गठबंधन में शामिल करने पर विचार कर रही है।
सूत्रों ने कहा कि नए गठबंधन में कांग्रेस ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना को भी शामिल करने से परहेज नहीं करेगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम दलित और जाट समीकरण को साधने के लिए कांग्रेस राष्ट्रीय लोकदल से नए सिरे से बात शुरू करेगी।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी का गठबंधन था और पंचायत चुनाव में भी दोनों दलों ने एक दूसरे को सपोर्ट किया था। ऐसे में फिलहाल यह माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर कोई अड़चन नहीं है। चूंकि समाजवादी पार्टी से पहले राष्ट्रीय लोकदल का कांग्रेस के साथ भी गठबंधन रह चुका है, इसलिए अभी यह कयास लगा पाना मुमकिन नहीं होगा कि रालोद सपा का साथ छोड़ने की शर्त पर कांग्रेस के साथ किसी तरह का कोई गठबंधन करेगा।
हालांकि रालोद नेता जयंत चौधरी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बैल्ट के किसान समाजवादी पार्टी से खुश नहीं हैं। जबकि वे कभी कांग्रेस के परम्परागत मतदाता रहे हैं।
वहीँ दूसरी तरफ पार्टी सूत्रों ने कहा कि प्रदेश में उचित गठबंधन न बनने की दशा में कांग्रेस प्रियंका को सीएम का चेहरा बनाकर अकेले चुनाव लड़ सकती है। सूत्रों ने कहा कि पार्टी के संपर्क में बसपा के कई बड़े नेता हैं और जल्द ही वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि पार्टी अगले महीने तक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपना फाइनल लेआउट तैयार करेगी। इसके बाद बहुत हद तक तस्वीर साफ़ होने की संभावना है।