नागरिकता कानून के खिलाफ आज दिल्ली में जुटेंगे विपक्ष के दिग्गज

नागरिकता कानून के खिलाफ आज दिल्ली में जुटेंगे विपक्ष के दिग्गज

नई दिल्ली। नागरिकता कानून के खिलाफ विपक्ष सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहा है। आज दिल्ली में विपक्षी दलों की एक अहम बैठक कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बुलाई गई है।

सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में कांग्रेस के अलावा एनसीपी, डीएमके, तेलगुदेशम, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआई, सीपीआईएम, एआईयूडीएफ, समाजवादी पार्टी और मुस्लिम लीग सहित 16 पार्टियां शामिल होंगी।

वहीँ तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी ने इस बैठक से दूरी बना ली है। ममता बनर्जी ने अभी ट्रेड यूनियनों के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं में कांग्रेस और कम्युनिस्ट दलों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए विपक्ष की बैठक में शामिल न होने का एलान किया था।

वहीँ आम आदमी पार्टी दिल्ली के विधानसभा चुनावो के मद्देनज़र नागरिकता कानून के खिलाफ कुछ भी खुलकर बोलने से परहेज कर रही है। इसलिए वह इस बैठक में शामिल नहीं होगी। बहुजन समाज पार्टी पहले ही विपक्ष के अन्य दलों से दूरी बना चुकी है। शिवसेना अपनी राजनैतिक मजबूरियों के कारण इस बैठक में शामिल नहीं होगी।

आज पार्लियामेंट एनेक्सी में बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में नागरिकता कानून को लेकर अंतिम रणनीति का खुलासा किया जा सकता है। जहाँ तक कांग्रेस का प्रश्न है तो यह नागरिकता कानून के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गई है। कांग्रेस शासित प्रदेश इस कानून के खिलाफ अपनी-अपनी विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने विपक्ष की बैठक में शामिल न होने को लेकर ट्विटर पर कहा कि “जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है।”

उन्होंने कहा कि “ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।”

लगातार तीन ट्वीट करते हुए मायावती ने कहा कि “वैसे भी बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है। केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले। साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण।”

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TeamDigital