नागरिकता कानून: अब सिर्फ सुप्रीमकोर्ट के पास है हल, राज्यों को हर हाल में करना पड़ेगा लागू
नई दिल्ली (राजाज़ैद)। जिस नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला चल रहा है उसका समाधान सिर्फ देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीमकोर्ट के पास ही है। नागरिकता कानून(सीएए) के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में 60 से अधिक याचिकाएं पहुँच चुकी हैं, इन याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होनी है।
नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट पहुंची याचिकाओं पर यदि कोर्ट अपनी सहमति जताता है और उन्हें याचिकाओं को गौर करने योग्य मानता है तो इन याचिकाओं पर सुनवाई होगी। हालाँकि याचिकाओं पर सुनवाई इस बात की गारंटी नहीं है कि सुप्रीमकोर्ट नागरिकता कानून को रोक सकता है।
इसी सुप्रीमकोर्ट याचिकाओं में दी गयीं दलीलो से सहमति जताता है, और कोर्ट को लगता है कि इस कानून में कुछ संशोधन आवश्यक हैं तो वह सरकार से इस पर पक्ष रखने के लिए कहेगा। सरकार की तरफ से रखा गया पक्ष कितना सार्थक और कोर्ट को संतुष्ट करने वाला है उसी आधार पर आगे की कार्रवाही तय होगी।
जहाँ तक राज्यों द्वारा नागरिकता कानून को लागू न करने की बात कही जा रही है तो वह सार्थक नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है। नागरिकता कानून(सीएए) को राज्य सरकारों द्वारा लागू न करने की स्थिति को लेकर कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र द्वारा बनाये गए कानून को नहीं रोक सकतीं।
कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पारित हो गया है तो कोई भी राज्य इसे लागू करने से मना नहीं कर सकता है। सीएए को लागू करने से मना करना मुमकिन नहीं और इसे लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक होगा।
कपिल सिब्बल ने कहा कि सीएए संसद से पास है तो कोई भी राज्य ये नहीं कह सकता कि हम इसे लागू नहीं करेंगे, ये संभव नहीं है, ये असंवैधानिक है। आप इसका विरोध ज़रूर कर सकते हैं। आप विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और सरकार से कह सकते हैं कि इसे वापस लिया जाए।
वहीँ सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी कहा है कि नागरिकता कानून (सीएए) की संवैधानिक स्थिति संदेहास्पद है। अगर सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीमकोर्ट) ने हस्तक्षेप नहीं किया तो वह कानून की किताब में कायम रहेगा और अगर कुछ कानून की किताब में है तो उसे सभी को मानना होगा। खुर्शीद ने कहा कि सीएए पर राज्य सरकारों की अलग-अलग राय है। उन्हें अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई घोषणा का इंतजार करना होगा।