सूरत में फिर सड़क पर उतरे प्रवासी मजदूर, कहा ‘हमें वापस भेजने का इंतजाम करे सरकार’
वडोदरा ब्यूरो। देश में आज लॉकडाउन की अवधि बढाकर 03 मई किये जाने के बाद सूरत में फंसे प्रवासी मजदूरों का सब्र फिर टूट गया और वे मंगलवार शाम को सूरत के बरछा इलाके में सड़क पर उतर आये।
प्रवासी मजदूरों ने कहना था कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने से पहले सरकार को उन्हें वापस भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। प्रवासी मजदूरों ने कहा कि वे काम धंधे बंद होने के बाद बेरोज़गार हो चुके हैं। सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की जा रही, उनके पास खर्च चलाने के पैसे भी नहीं बचे हैं।
प्रवासी मजदूरों का तर्क है कि पहले उन्हें 15 अप्रेल तक इंतज़ार करने के लिए कहा गया और अब लॉक डाउन की अवधि बढाकर उन्हें फिर मुश्किल में डाल दिया गया है।
प्रवासी मजदूर सूरत के जिस बरछा इलाके में जमा हुए थे उस इलाके को हीरे की तराशी के काम का हब कहा जाता है। आज प्रदर्शन करने वाले मजदूरों में अधिकांश मजदूर लॉक डाउन से पहले स्थानीय टेक्सटाइल मिल और हीरे की तराशी और पोलिश की लेबोरेट्री में काम करते थे। लेकिन लॉक डाउन के बाद सभी काम काज बंद होने से प्रवासी मजदूर बेरोज़गार हो चुके हैं।
बाद में प्रशासन और पुलिस से जुड़े लोगों ने प्रवासी मजदूरों को समझाने की कोशिश की। इस दौरान कुछ मजदूरों ने खाना न मिलने की शिकायत भी की। इस स्थानीय विधायक किशोर कनानी ने एक एनजीओ के माध्यम से प्रवासी मजदूरों के भोजन की व्यवस्था की।
कनानी ने कहा कि सूरत में फंसे प्रवासी मजदूर मानकर चल रहे थे कि 14 अप्रेल को लॉकडाउन खुल जाएगा और वे अपने अपने घरो को जा सकेंगे लेकिन लॉक डाउन की अवधि बढ़ाये जाने से उनका धैर्य जबाव दे चूका है।
गौरतलब है कि इसे पहले बीते शुक्रवार को भी प्रवासी मजदूरों ने घर वापस भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में हिंसा के लिए पुलिस ने करीब 70 प्रवासी मजदूरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
सूरत के डीसीपी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि प्रवासी मजदूर जमा हुए थे और वे वापस भेजे जाने की मांग कर रहे थे। हमने उन्हें समझाया कि लॉक डाउन में किसी भी वाहन को चलाये जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। प्रवासी मजदूरों ने खाना न मिलने की भी शिकायत की, हमने खाना सप्लाई करने वाली एक एजेंसी को बुलाकर खाने का बंदोबस्त किया है।