ममता की राज्य सरकारों से अपील: एनपीआर लागू करने से पहले करें इसका अध्यन

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्वोत्तर राज्यों और विपक्ष के नेतृत्व वाले राज्यों की सरकारों से अपील की है कि वे अपने राज्यों में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करने से पहले इसका अध्यन अवश्य कर लें।
ममता बनर्जी ने विपक्ष शासित सभी राज्यों से अपनी अपील में यह भी कहा कि वे अपने राज्यों में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाएं। गौरतलब है कि नागरिकता कानून को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से पहले ही नोटिफिकेशन जारी हो चूका है।
केरल और पंजाब की सरकार ने नागरिकता कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेज दिया है। वहीँ कई अन्य राज्यों की गैर बीजेपी सरकारें नागरिकता कानून के खिलाफ जल्द ही विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में जुटी हैं।
देश में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) के अंतर्गत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक असम के लिए अलावा देशभर में घर- घर जाकर ये जनगणना की जाएगी।
क्या है एनपीआर:
नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। इसके तहत कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है।
कैसे होगा एनपीआर:
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में तीन प्रक्रिया में पूरी होगी। पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। वहीं दूसरे चरण 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच होगी।
एनपीआर की प्रक्रिया के तहत देश के नागरिको से कुछ सवाल पूछे जाएंगे। जिनके जबाव उन्हें एनपीआर करने वाले लोगों को देने होंगे। इतना ही नहीं बायोमेट्रिक डाटा में नागरिक का अंगूठे का निशान और अन्य जानकारी शामिल होगी।