भेदभाव को मजबूत करने वाले नेता खुद को बता रहे भगत सिंह की विचारधारा का वारिस : कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को ‘शहीद दिवस’ के अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि बंटवारे एवं भेदभाव पर आधारित व्यवस्था को मजबूत बनाने नेता आज खुद को भगत सिंह की विचारधारा का वारिस बताकर जनता को बरगला रहे हैं।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु वह विचार हैं जो सदा अमर रहेंगे। जब-जब अन्याय के ख़िलाफ़ कोई आवाज़ उठेगी, उस आवाज़ में इन शहीदों का अक्स होगा। जिस दिल में देश के लिए मर-मिटने का जज़्बा होगा, उस दिल में इन तीन वीरों का नाम होगा।’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की शहादत एक ऐसी व्यवस्था के सपने के लिए थी जो बंटवारे पर नहीं, बराबरी पर आधारित हो, जिसमें सत्ता के अहंकार को नहीं, नागरिकों के अधिकार को तरजीह मिले और सब मिलजुलकर देश के भविष्य का निर्माण करें। आइए, साथ मिलकर इन विचारों को मजबूत करें।’’
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘भगत सिंह एक विचार थे जो शोषण, भेदभाव तथा मानसिक गुलामी के खिलाफ थे। उनके जेहन में एक ऐसी व्यवस्था की स्थापना का स्वप्न था जहां एक व्यक्ति दूसरे का शोषण न कर पाए। जहां वैचारिक स्वतंत्रता हो तथा मानसिक गुलामी का कोई स्थान न हो। इंसान को इंसान समझा जाए। भेदभाव का कोई स्थान न हो। जहां इंसान को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी हो।’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘‘जिस प्रकार भगत सिंह अंग्रेजों के नहीं बल्कि उनके द्वारा स्थापित भेदभाव आधारित व्यवस्था के खिलाफ थे उसी प्रकार वे धर्म-जाति आधारित व्यवस्था के भी खिलाफ थे जो इंसान इंसान के बीच भेदभाव को मान्यता देकर शोषण का माध्यम बनती है।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमने आज भगत सिंह को मात्र एक ब्रांड बना दिया है तथा उनकी सोच को नकार दिया है। अगर ऐसा नहीं होता तो वैचारिक भिन्नता देशद्रोह नहीं होती, किसानों-मजदूरों को पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश नहीं रची जाती। धार्मिक विचार चुनाव का मुद्दा न होता। मात्र जाति जीत का आधार न होती। नेता चुनते हुए हम उसकी नीति व क़ाबिलियत देखते, न कि उसकी जाति और धर्म। अपनी जात बताकर लोगों से वोट मांगने की किसी नेता की हिम्मत न होती, न ही पार्टी की।’’
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘भगत सिंह के भारत में यह कल्पना नहीं की जा सकती कि महंगाई, बेरोज़गारी, शोषण, असमानता, भेदभाव बेहिसाब बढ़े, असुरक्षा और नफ़रत के काले बादल गहरा जाएं, संसद और संस्थाएं पंगु हो जाएं, संविधान धीरे धीरे एक जीवंत दस्तावेज की बजाय एक किताब बन जाए, अंधभक्ति और धार्मिक उन्माद ही सर्वोपरि हो।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘यह बड़े अफसोस का विषय है कि जिस भगत सिंह ने भेदभाव व धर्म-जात के बंटवारे क़े ख़िलाफ़ एक क्रांति का आह्वान किया था, उसी भेदभाव आधारित व्यवस्था को मजबूत करने वाले नेता अपने आप को भगत सिंह की विचारधारा का असली वारिस घोषित करके जनता को बरगला रहे हैं।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘शहीद भगत सिंह की विचारधारा प्रकाश स्तम्भ की तरह सदैव याद दिलाती रहेगी कि भेदभाव आधारित व्यवस्था में कभी भी शांति स्थापित नहीं होगी तथा अन्यान्य एवं शोषण के खिलाफ संघर्ष अनवरत जारी रहेगा।’’