जेल से रिहा होते ही बिहार में लालू हुए एक्टिव, एनडीए में बड़ी तोड़फोड़ की संभावना

जेल से रिहा होते ही बिहार में लालू हुए एक्टिव, एनडीए में बड़ी तोड़फोड़ की संभावना

पटना ब्यूरो। जेल से रिहा हो चुके बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव परदे के पीछे से राजनीति में एक्टिव हो गए हैं। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक में भी भाग लिया ।

रविवार को आयोजित वर्चुअल बैठक में लालू प्रसाद यादव ने अपने संक्षिप्त संबोधन में राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं और विधायकों को बड़ा संदेश दे दिया है। हालांकि लालू यादव ऑक्सीजन लेविल गिरने के कारण बहुत देर तक बैठक में मौजूद नहीं रह सके।

लालू प्रसाद ने तीन मिनट ही पार्टी नेताओं को संबोधित कर पाए। उन्होंने पार्टी विधायकों का आह्वान किया कि यह बहुत मुश्किल समय है। लोगों की बड़ी संख्या में जान जा रही है। ऐसे में लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय रहें और लोगों की मदद करें। राजद जिला स्तर पर सहायता केंद्र भी खोलेगा।

वर्चुअल मीटिंग शुरू होने पर तेजस्वी यादव ने पहले ही यह बात सभी को बता दी थी कि लालू प्रसाद की तबीयत बहुत ठीक नहीं है और वे ज्यादा नहीं बोलेंगे। लालू यादव ने राजद नेताओं से कहा कि वे तबीयत ठीक होने पर आप लोगों के बीच जरूर आएंगे।

इससे पहले तेजस्वी यादव ने मीटिंग शुरू करते हुए कहा कि बिहार में सरकारी अस्पतालों की स्थिति इतनी खराब है कि जनता वहां नहीं जाना चाहती है। सरकार कोरोना में हर तरह से विफल हो रही है। राष्ट्रीय जनता दल हर तरह से मदद कर रहा है।

वहीँ दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि जेल से रिहा होने के बाद लालू यादव बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं और बिहार के कई गैर राजद नेताओं से उनकी फोन पर बात हुई है। सूत्रों ने कहा कि लालू यादव ने एनडीए में शामिल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी से भी फोन पर बात की है।

हालांकि राष्ट्रीय जनता दल ने अभी लालू यादव की किसी गैर राजद नेता से बातचीत होने की सार्वजनिक तौर पर पुष्टि नहीं की है लेकिन राजद सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव की राजद की सहयोगी पार्टी कांग्रेस, वामपंथी दलों के नेताओं के अलावा हम के संयोजक जीतनराम मांझी और वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी से भी बात हुई है। बता दें कि हम और वीआईपी पार्टी दोनों नीतीश सरकार में शामिल हैं।

फिलहाल देखना है कि देश में कोरोना महामारी का संकट खत्म होते होते बिहार की राजनीति किस तरह करवट बदलती है। हालांकि जानकारों का कहना है कि लालू यादव भले ही सार्वजनिक तौर पर राजनीतिक मंचो पर नज़र न आएं लेकिन उनका परदे के पीछे से सक्रिय होना भी कई मायनो में अहम है और बिहार की राजनीति उनके प्रभाव से अछूती नहीं रह सकती।

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