Live: सीएए-एनआरसी के खिलाफ जामिया से संसद तक मार्च, सुरक्षा बलों द्वारा रोका गया
नई दिल्ली। नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ आज दिल्ली के जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी से लेकर संसद तक मार्च का आयोजन किया गया। इस मार्च का आयोजन जामिया कोर्डिनेशन कमेटी ने किया है।
इस संसद मार्च को ओखला में होली फैमिली अस्पताल के पास सुरक्षा बलों द्वारा रोका गया। जैसे ही मार्च जामिया से आगे बढ़ा, सुरक्षा बलो ने घेरा बनाकर इस मार्च को रोक लिया। खबर लिखे जाने तक प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच गतिरोध जारी है। प्रदर्शनकारियों को समझाकर वापस भेजने की कोशिश की जा रही है लेकिन वे संसद तक मार्च निकालने पर अड़े हैं।
आज आयोजित किये गए संसद मार्च में शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने भी बड़ी तादाद में भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं के हाथ में तिरंगे झंडे और तख्तियां थीं। मार्च में शामिल हुए लोगों ने अपने सिर पर नो एनपीआर-नो सीएए-नो एनआरसी लिखी पट्टियां भी बाँध रखी थीं।
गौरतलब है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा नागरिकता कानून के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन पर पुलिस कार्रवाही में कई छात्र घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस बर्बरता का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच चूका है।
छात्रों के साथ हुई पुलिस बर्बरता की जांच के लिए पिछले दिनों मानवाधिकार आयोग की टीम ने अपनी जांच प्रक्रिया के तहत जामिया के छात्रों से मुलाकात कर उनके बयान भी दर्ज किये थे।
वहीँ जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी में चल रहे प्रदर्शन के बीच बीते 30 जनवरी को जामिया से राजघाट तक मार्च निकाल रहे छात्रों पर फायरिंग की घटना में एक छात्र को गोली लगी थी।
वहीँ दूसरी तरफ जामिया से कुछ दूरी पर शाहीन बाग़ में चल रहे नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शन को करीब 60 दिन पूरे हो चुके हैं। दो महीने से प्रदर्शन कर रहे शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
प्रदर्शन में शामिल कुछ महिलाओं ने बातचीत में कहा कि नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ आरपार की लड़ाई लड़ी जा रही है। अगर यह प्रदर्शन और भी कई महीने तक चलता है तो भी हम इसे जारी रखेंगे। महिलाओं ने कहा कि हम सिर्फ अपने हक के लिए नहीं लड़ रहे बल्कि देश का संविधान बचाने के लिए लड़ रहे हैं।