प्रोमोशन में आरक्षण: संसद के दोनों सदनों में हंगामा, राहुल बोले बीजेपी-संघ के डीएनए में है विरोध

प्रोमोशन में आरक्षण: संसद के दोनों सदनों में हंगामा, राहुल बोले बीजेपी-संघ के डीएनए में है विरोध

नई दिल्ली। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीमकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर कई राजनैतिक दलों ने असहमति जताई है। संसद के दोनों सदनों में आज यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया।

इस मामले को लेकर आज लोकसभा में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया। जिसके बाद सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई। लोकसभा में अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपना दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। यह अब तक का सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया सबसे दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है।

लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से खुश नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है। भारत सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। समाज कल्याण मंत्री आज दोपहर 2:15 बजे बयान देंगे।

बीजेपी-आरएसएस के डीएनए में हैं आरक्षण का विरोध: राहुल

वहीँ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भाजपा संविधान से आरक्षण को हटाना चाहती है। भाजपा आरएसएस के डीएनए में आरक्षण का विरोध है। उन्होंने कहा कि हम आरक्षण को खत्म नहीं होने देंगे। भाजपा आरक्षण की विरोधी है। वो चाहते हैं कि एससी-एसटी समुदाय कभी आगे न बढ़े।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। वो किसी ना किसी तरह आरक्षण को संविधान से निकालना चाहते हैं। आज संविधान पर आक्रमण हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एससी/एसटी समुदाय को आगे बढ़ना नहीं चाहती। लेकिन, बीजेपी और आरएसएस वाले जितना भी सपना देख लें, हम आरक्षण को कभी नहीं मिटने देंगे। ये संविधान का मुख्य हिस्सा है।

हम इस फैसले से सहमत नहीं: कांग्रेस

इससे पहले रविवार को कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रतिक्रिया दी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकल वासनिक ने मडिया से बात करते हुए कहा था, “हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं। संविधान के जरिए जो अधिकार एससी/एसटी के लोगों को प्राप्त हुए, उन पर आम सहमति रही है। लेकिन, दुर्भाग्यवश आज की सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे व्यक्तियों के बयान वंचित और प्रताड़ित व्यक्तियों के अधिकारों पर संकट खड़ा करते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी ने कुछ समय पहले आरक्षण पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य जी ने आरक्षण को खत्म करने की बात कही थी और इससे अलगाववाद फैलने की बात भी कही थी।”

वासनिक ने कहा, “खुद प्रधानमंत्री जी ने अपनी किताब में वाल्मीकि समुदाय को लेकर जो टिप्पणी की थी, उससे पूरा देश परिचित है। हमारा स्पष्ट मानना है कि एससी/एसटी के लोगों की सरकारी पदों पर नियुक्ति सरकारों के विवेक पर नहीं, बल्कि संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार रहा है।”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं, क्योंकि यह मौलिक अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि एससी/एसटी के लोग सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा नहीं कर सकते, यह राज्य सरकारों की इच्छा पर निर्भर करता है। कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस पार्टी ने असहमति जताई है। राहुल गांधी का इशारा मोहन भागवत के उन बयानों की ओर था, जिसमें आरएसएस प्रमुख कई बार आरक्षण का विरोध कर चुके हैं।

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TeamDigital