हिजाब विवाद: पढ़िए- कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले की अहम बातें
बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब विवाद में उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी बालिका महाविद्यालय की कुछ मुस्लिम छात्राओं की याचिका खारिज कर दी। इस फैसले का सार इस प्रकार है :-
मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहना जाना इस्लाम की प्रथा का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
इस्लाम में हिजाब पहनने को धार्मिक प्रथा का हिस्सा साबित करने के लिए प्रथम दृष्टया तथ्य रिकॉर्ड में नहीं लाया गया।
ऐसा नहीं है कि जो हिजाब नहीं पहनतीं वे पापी हो जाती हैं या इस्लाम अपना गौरव खो देगा और यह धर्म नहीं रह जाएगा।
बिना शिक्षक, शिक्षा एवं यूनिफॉर्म के स्कूलिंग का उद्देश्य पूरा नहीं होता।
स्कूल यूनिफॉर्म का आदेश संविधान के तहत मंजूर तार्किक नियम है, जिसपर विद्यार्थी आपत्ति नहीं जता सकते।
मुगल या ब्रिटिश यूनिफॉर्म लेकर नहीं आए, बल्कि यह गुरुकूल के दिनों से थी।
अनेक भारतीय धर्मग्रंथों में समवस्त्र और शुभ्रवेश का उल्लेख है, जिसका अंग्रेजी में करीब-करीब अर्थ यूनिफॉर्म है।
स्कूल यूनिफॉर्म, यूनिफॉर्म नहीं रह जायेगी, यदि उसी रंग का हिजाब पहनने की अनुमति दे दी जाएगी। तब छात्राओं की दो प्रकार की श्रेणियां होंगी, पहली हिजाब के साथ और दूसरी बगैर हिजाब की।
बालिकाओं की दो प्रकार की श्रेणियां ‘सामाजिक पृथकता’ का आभास कराएगी, जिसकी कामना नहीं की जा सकती।
नियम लागू करने का उद्देश्य ‘सुरक्षित जगह’ उपलब्ध कराना है, जहां इस प्रकार की विभाजनकारी रेखाओं की कोई जगह नहीं है।
सरकार को ऐसे कपड़ों को पहनने पर रोक लगाने का आदेश जारी करने का अधिकार है जिससे शांति, सौहार्द बिगड़ सकते हैं और लोक व्यवस्था का प्रश्न उठ सकता है तथा इसे अवैध करार देने के लिए कोई मामला नहीं बनाया जा सकता।