सुप्रीमकोर्ट का फैसला: कल शाम 5 बजे तक कराना होगा फ्लोर टेस्ट

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाए जाने की मांग वाली बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।
सुप्रीमकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कल शाम पांच बजे तक मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट हाथों के प्रदर्शन से होगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट की वीडियो ग्राफ़ी कराये जाने के भी आदेश दिए हैं।
इससे पहले इस मामले में आज गुरूवार को भी सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से दलीलें रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने फ्लोर टेस्ट के लिए दो हफ्ते का समय निर्धारित किये जाने की मांग कोर्ट के समक्ष रखी।
सुप्रीमकोर्ट में आज शुरू हुई सुनवाई में कमलनाथ सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है। अब इससे बचने के लिए नया तरीका निकाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 15 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाएगा। यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है। ये मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं। सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह स्पीकर का अधिकार है कि वह चुने कि किसे इस्तीफा स्वीकार किया जाना है और किसका नहीं। स्पीकर के फैसले में कोई दखल नहीं दे सकता है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने दोहराया कि फ्लोर टेस्ट करवाना है या नहीं, यह स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि विधायकों की गैरमौजूदगी से सदन में संख्याबल कम रह जाएगा।
जब जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि ऐसे में क्या किया जाए, क्या स्पीकर को विधायकों के इस्तीफे पर फैसला नहीं लेना चाहिए। इसपर सिंघवी ने सुझाव दिया कि स्पीकर पर इस पर फैसला लेकिन के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बागी विधायक अपनी इच्छा से काम कर रहे हैं या नहीं इस पर पर्यवेक्षक नियुक्त करने किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त करने से बागी विधायकों के किसी डर से कैद में रहने की बात की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। विधायकों की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह भी इस बात पर राजी हो गए।
वहीँ इससे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक चैनल के कार्यक्रम में भाग लेते हुए कहा कि जब तक विधायकों को भोपाल नहीं लाया जाता तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जाएगा।