सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद कमलनाथ ने बुलाई आपात बैठक, जीतू पटवारी ने कहा ‘हम तैयार हैं’
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश विधानसभा में कल शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराये जाने के सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधायक दल की आपात बैठक बुलाई है।
गौरतलब है कि बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश में तुरंत फ्लोर टेस्ट कराये जाने की मांग को लेकर सुप्रीमकोर्ट में दायर याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा में कल शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराया जाए।
इतना ही नहीं कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह फ्लोर टेस्ट सदस्यों द्वारा हाथ उठाकर किया जाए तथा फ्लोर टेस्ट की वीडियो ग्राफ़ी भी कराई जाए। बागी विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर बागी विधायक विधानसभा में आना चाहते हैं तो कर्नाटक के DGP और मध्य प्रदेश के DGP दोनों उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा बुलाई गई आपात बैठक में भाग लेने पहुंचे कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि ‘ हम फ्लोर टेस्ट के लिए पहले भी तैयार थे आज भी तैयार हैं और हम कल फ्लोर टेस्ट में पास होंगे’।
वहीँ इससे पहले सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘कल फ्लोर टेस्ट होगा और हमारा अटल विश्वास है कि ये सरकार पराजित होगी और नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा। कल दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।’
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता पी.सी. शर्मा ने कहा कि ‘सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेगी। उन 16 लोगों (विधायकों) को भी लाया जाना चाहिए। शाम को कांग्रेस विधायक दल की बैठक है सभी विधायकों से साथ बात करके कमलनाथ जी अपनी स्ट्रेटजी तैयार करेंगे।’
गुरूवार को तीसरे दिन भी हुई सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई:
इससे पहले इस मामले में आज गुरूवार को भी सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से दलीलें रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने फ्लोर टेस्ट के लिए दो हफ्ते का समय निर्धारित किये जाने की मांग कोर्ट के समक्ष रखी।
सुप्रीमकोर्ट में आज शुरू हुई सुनवाई में कमलनाथ सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है। अब इससे बचने के लिए नया तरीका निकाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 15 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाएगा। यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है। ये मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं। सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह स्पीकर का अधिकार है कि वह चुने कि किसे इस्तीफा स्वीकार किया जाना है और किसका नहीं। स्पीकर के फैसले में कोई दखल नहीं दे सकता है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने दोहराया कि फ्लोर टेस्ट करवाना है या नहीं, यह स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि विधायकों की गैरमौजूदगी से सदन में संख्याबल कम रह जाएगा।
जब जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि ऐसे में क्या किया जाए, क्या स्पीकर को विधायकों के इस्तीफे पर फैसला नहीं लेना चाहिए। इसपर सिंघवी ने सुझाव दिया कि स्पीकर पर इस पर फैसला लेकिन के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बागी विधायक अपनी इच्छा से काम कर रहे हैं या नहीं इस पर पर्यवेक्षक नियुक्त करने किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त करने से बागी विधायकों के किसी डर से कैद में रहने की बात की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। विधायकों की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह भी इस बात पर राजी हो गए।