CAA पर आज होगी यूरोपीय संसद में बहस, कल होगी वोटिंग
नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा लागू किये गए नागरिकता कानून पर दुनियाभर की नज़रें टिकी हैं। नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन की खबरों के बाद यह मामला यूरोपियन यूनियन तक चर्चा का विषय बन गया है।
भारत ने यूरोपियन यूनियन से कहा है कि यह देश का आंतरिक मामला है और इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा अपनाया गया है। वहीँ मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
वहीँ नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ यूरोपीय संसद की ओर से एक प्रस्ताव लाया गया है। यह प्रस्ताव यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया है। यूरोपीय संसद बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर बहस करेगी और गुरुवार को इस पर वोटिंग होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोपियन यूनियन संसद के 751 सांसदों में से 626 सांसद कुल 6 प्रस्ताव नागरिकता कानून और जम्मू-कश्मीर के संबंध में लेकर आए हैं। प्रस्ताव में भारत सरकार से अपील की गई है कि वह सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ ‘रचनात्मक बात’ करे और भेदभावपूर्ण कानून को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार करे।
इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र, मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के अनुच्छेद-15 के अलावा 2015 में हस्ताक्षरित किए गए भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी संयुक्त कार्य योजना और मानवाधिकारों पर यूरोपीय संघ-भारत विषयक संवाद का जिक्र किया गया है।
इसमें भारतीय शासकों से अपील की गई है कि वे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ रचनात्मक वार्ता करें और भेदभावपूर्ण सीएए को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार करें।
प्रस्ताव में कहा गया है, सीएए भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा। इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट विश्व में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है।