कश्मीर में नज़रबंद नेताओं की जल्द हो सकती है रिहाई, कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाये सवाल

कश्मीर में नज़रबंद नेताओं की जल्द हो सकती है रिहाई, कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाये सवाल

नई दिल्ली। कश्मीर में नज़रबंद नेताओं की रिहाई जल्द हो सकती है। इस बात के संकेत केंद्रीय गृह सचिव ए.के. भल्ला ने दिए हैं। केंद्रीय गृह सचिव ए.के. भल्ला ने संसदीय समिति की बैठक में दी गयी जानकारी में कहा कि जल्द ही अधिकांश नेताओं को रिहा कर दिया जाएगा।

संसदीय समिति की बैठक में गृहसचिव ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थति अब सामान्य हो रही है। स्कूलों और कॉलेजों में आम दिनो की तरह छात्र छात्राएं पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में दफ्तरों के भी कामकाज सामान्य तरह से चल रहा है।

जम्मू कश्मीर के कुछ इलाको में इंटरनेट सेवा निलंबित होने की जानकारी देते हुए गृह सचिव ए के भल्ला ने कहा कि दूरसंचार सेवाओं पर लगी पाबंदी भी लगभग खत्म हो चुकी है। कुछ संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से इंटरनेट पर छोटे अंतराल के लिए पाबंदियां जारी हैं।

गृह मंत्रालय से जुडी संसदीय समिति में राज्यसभा के नौ और लोकसभा के 21 सदस्य हैं और इसकी अध्यक्षता आनंद शर्मा ने की। केंद्रीय गृह सचिव ए.के. भल्ला के साथ अतिरिक्त सचिव जम्मू व कश्मीर और दूसरे अधिकारी भी मौजूद रहे।

वहीँ इससे पहले आज कांग्रेस ने कश्मीर में नज़रबंद नेताओं का मामला उठाया। कांग्रेस ने पूछा है कि सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के लिए क्या श्रीनगर से लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला को भाग लेने की अनुमति दी जाएगी।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “कश्मीर में पिछले 103 दिनों से तालाबंदी की स्थिति है। प्रधानमंत्री दुनिया भर में “सब कुछ ठीक है” का राग आलाप रहे हैं। सरकार को कारण बताना चाहिए कि उसने राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद क्यों रखा है।’

पवन खेड़ा ने कहा कि ‘क्या उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने भारत के संविधान के तहत शपथ नहीं ली है? उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी कैबिनेट में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। आप लोग महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बना चुके हैं और आज आप लोग उन्हें अलगाववादियों की श्रेणी में रख रहे हैं।’

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को विवादास्पद सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था।

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