चिदंबरम ने सरकार को घेरा, कहा ‘धन है, भोजन है लेकिन सरकार वह देगी नहीं’

नई दिल्ली। देश में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने के बाद पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की घेराबंदी की है। पीएम मोदी द्वारा आज राष्ट्र के नाम दिए गए सन्देश के कुछ देर बाद ही चिदंबरम ने मोदी सरकार पर हमला बोला।
चिदंबरम ने गरीबो को समुचित सहायता न दिए जाने को लेकर ट्वीट कर कहा कि ‘गरीबों को 21+19=40 दिन के लिए अपना इंतजाम खुद करने के लिए छोड़ दिया गया। धन है, भोजन है लेकिन सरकार वह देगी नहीं। रोओ, मेरे प्यारे देश।’
वहीँ एक अन्य ट्वीट में चिदंबरम ने कहा, ‘मुख्यमंत्रियों की धनराशि की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। 25 मार्च के ‘कंजूसी भरे’ पैकेज में एक रुपया भी नहीं जोड़ा गया। चिदंबरम ने कहा कि यह स्पष्ट है कि गरीबों की आजीविका, उनका अस्तित्व सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं है।’
उन्होंने कहा कि रघुराम राजन से लेकर ज्यां द्रेज, प्रभात पटनायक, अभिजीत बनर्जी तक की सलाहों पर ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि चिदंबरम ने लॉकडाउन को आगे बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया।
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्र के नाम अपने सन्देश में देशभर में लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ाने का एलान किया। पीएम मोदी ने अपने संदेश में कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ सख्ती रखते हुए अपने शहरों/क्षेत्रों में हॉटस्पॉट नहीं बनने देंगे, वहां 20 अप्रैल से जरूरी गतिविधियों की इजाजत दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि कल यानी बुधवार को सरकार इस बारे में सरकार विस्तृत गाइड लाइन जारी करगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि 20 अप्रैल को सीमित छूट का ध्यान गरीबों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस शुरू से बेरोज़गार हुए दिहाड़ी मजदूरों और गरीब परिवारों के लिए राहत दिए जाने की मांग उठाती आ रही है। लॉक डाउन के बाद सरकार द्वारा की गई कुछ घोषणाओं में बड़ा झोल दिखाई दे रहा है।
सरकार की घोषणाओं में ये हैं बड़े झोल:
सरकार की तरफ से कहा गया कि लॉकडाउन की अवधि में कोई भी मकान मालिक उस महीने का किराया अपने किरायेदार से न मांगे, जबकि कोई मकान मालिक किराया छोड़ने को तैयार नहीं है।
सरकार ने एलान किया था कि लॉकडाउन के कारण हाऊसिंग और ऑटो लोन की ईएमआई तीन महीने तक नहीं काटी जाएंगी, जबकि बहुत से लोगों के खाते से बैंको ने ईएमआई काट ली है। वहीँ जिनके खाते में रकम मौजूद नहीं थी उनके पास बैंको की तरफ से एसएमएस भी आये हैं।
सरकार ने कहा कि सभी कंपनियां अपने कर्मचारियों को बिना काम के भी सैलरी का भुगतान करें लेकिन छोटी कंपनियों के पास बिना काम भुगतान करने की क्षमता नहीं है।
सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि कोई कंपनी लॉक डाउन में अपने कर्मचारी को नहीं निकालेगी लेकिन लॉक डाउन के एलान के बाद बहुत सी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को निकाल दिया। बेरोज़गार हुए लाखो प्रवासी मजदुर इसका बड़ा सबूत हैं।