बजट 2020: बजट में क्या हुआ सस्ता – क्या हुआ महंगा, किसने क्या कहा

बजट 2020: बजट में क्या हुआ सस्ता – क्या हुआ महंगा, किसने क्या कहा

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में देश का आम बजट पेश किया। जानकारों की माने तो सरकार द्वारा पेश बजट आम लोगों की समझ में आसानी से बैठने वाला नहीं है।

बजट में मध्यम और कम आय वर्ग के लोगों जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण चीजे महंगी की गई हैं। संक्षित में कहें तो बजट के बाद मोबाईल, फुटवियर (जूते चप्पल). वाटर प्योरिफायर (वाटर फिलटर), फर्नीचर, ग्लास का सामान, पंखे, मिक्सर, जूसर, ग्राइंडर, ऑटो पार्ट्स, मेडिकल इक्युपमेंट, सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि महंगे हो जायेंगे।

वहीँ बजट के बाद जो चीज़ें सस्ती होंगी उनमे इलेक्ट्रिक कारें, टीवी, सोलर बैट्री,न्यूज प्रिंट, प्लैटिनम, प्लास्टिक सीट, सोया प्रोटीन, रॉ शुगर, प्लास्टिक-केमिकल और स्किम्ड मिल्क सस्ते होंगे।

बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मुख्य मुद्दा बेरोजगारी का है। मैंने ऐसा कोई रणनीतिक विचार नहीं देखा जिससे हमारे युवाओं को रोजगार मिले।

उन्होंने कहा कि मैंने सामरिक चीजें देखी, लेकिन कोई केंद्रीय विचार नहीं था। यह अच्छी तरह से सरकार का वर्णन करता है। बहुत दोहराव है, बजट भाषण में सरकार की मानसिकता दिखी, सभी बात करते हैं, लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि शायद यह इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण था, लेकिन इसमें कुछ भी नहीं था, यह खोखला था।

वहीँ पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार के बजट 2020-21 पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि सरकार ये मानने को तैयार नहीं है कि देश की अर्थव्यवस्था पर संकट है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की उम्मीद भी छोड़ दी है।

उन्होंने कहा कि मैं 160 मिनट तक चले लंबे भाषण को देखा लेकिन मुझे कोई ऐसी घोषणा, यादगार विचार या बयान नहीं दिखा जिससे पता चले कि सरकार का क्या संदेश देने का का इरादा था।

चिदंबरम ने कहा कि बजट में रोजगार सृजन के लिए कुछ भी नहीं कहा गया है। सरकार की तरफ इशारा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि उनका कहना है कि एलआईसी को निजी बीमा कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है लेकिन निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर इस पर चर्चा होनी चाहिए थी संसद में भी इस पर बहस हो।

उन्होंने कहा कि कि पिछली छह तिमाहियों में विकास दर लगातार गिरकर पांच प्रतिशत से कम हो गई है। ऐसे में 2020-21 में विकास दर की गति कैसे बढ़ेगी, न तो वो सामने है और न ही आंकड़ों में दर्शाया जा सकता है।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पहली बार बजट में खाद्य सब्सिडी कम कर दी गई है। पिछले साल खाद्य सब्सिडी एक लाख 84 हजार करोड़ रुपये थी। देश के गरीब की थाली में जो खाना जाना है खाद्य सुरक्षा कानून के तहत उसमें कटौती हुई है। किसान की फसल की खरीदी का जो पैसा है उसमें 68.650 करोड़ की कटौती कर दी गई है।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि राजकोषीय घाटे के आंकड़े से साफ है कि अर्थव्यवस्था चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने भी ये माना है कि राजकोषीय घाटा 3.8 प्रतिशत है। सिब्बल का कहना है वित्त मंत्री देश को बताएं कि अगर केंद्रीय और राज्यों का घाटा जोड़ा जाए तो यह आठ प्रतिशत से ज्यादा है जो चिंता का विषय है।

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