यूपी में जातीय चक्रव्यूह को यूँ भेद रही कांग्रेस
लखनऊ । यूपी की सियासत में वापसी के लिए हाथ पैर मार रही कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती जातीय समीकरणों के चक्रव्यूह को भेदना है। हालांकि, कांग्रेस जातिगत आधारित राजनीति के लिए सपा और बसपा को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा रही हो पर, इससे पार पाने के लिए कांग्रेस भी अब इनकी तरह मैदान में उतर गई है।
चेतना यात्रा में उन सभी जातियों के नेताओं आगे रखा गया जो प्रदेश की सियासत को प्रभावित करती हैं। राज बब्बर ने इन नेताओं को जहां कार्यकर्ता और जनता के बीच एक हीरो की तरह पेश किया वहीं उनका परिचय भी जातिगत आधार पर कराया।
चेतना यात्रा के दौरान राज बब्बर से लेकर गुलाम नबी आजाद समेत सभी दिग्गजों ने प्रदेश की सियासत में जातिवाद को एक जहर करार दिया। उन्होंने धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाते हुए भाजपा को घेरा तो जातिगत सियासत के लिए सपा-बसपा को आड़े हाथ लिया।
उन्होंने जनता को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की, इस प्रदेश को जातिवाद से निजात सिर्फ कांग्रेस ही दिला सकती है। पर, अंदरखाने कांग्रेस के सामने यूपी के जातीय समीकरण ही बेचैन कर रहे हैं।
इस जातीय चक्रव्यूह को कैसे तोड़ा जाए इसके लिए पीके और उनकी टीम के साथ ही कांग्रेस के दिग्गज लगे हुए हैं। उसमें सफलता कब तक मिलेगी यह तो तय नहीं पर, कांग्रेस ने चेतना यात्रा के जरिए प्रमुख जातियों के नेताओं को आगे जरूर कर दिया है। इनके सहारे उन जातियों में फिर से कांग्रेस के लिए सहानुभूति पैदा करने की कोशिश की है।
इतना ही नहीं यात्रा के साथ चल रहे कांग्रेस के दिग्गजों का परिचय तो कराया गया पर, उनकी जाति का जिक्र करना नहीं भूले। सोमवार को हरदोई के सांडी विधानसभा के मेंडू गांव में हुई जनसभा के दौरान भीड़ का मिजाज देखकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने बारी-बारी से मंच पर बैठे सभी नेताओं का परिचय जाति और उनके काम के आधार पर कराया। मसलन, पीएल पूनिया जी दलित समाज से आते हैं…दलितों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। अब भी लड़ रहे हैं। राजाराम पाल, प्रमोद तिवारी, विरेंद्र सिंह, जफर अली नकवी समेत सभी नेताओं का परिचय भी इसी तरह कराया गया।
यह नेता कांग्रेस के गुलदस्ते हैं
राज बब्बर ने सभी नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कांग्रेस का गुलदस्ता बताया। कांग्रेस हाईकमान ने हर वर्ग को तवज्जो दी है। अपनी सभाओं में उन्होंने साफ कहा कि यह सभी नेता मिलकर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने निकले हैं। अब बस आपका सहयोग चाहिए।
कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती जातीय सियासत
यूपी की सियासत में जातीय समीकरण कांग्रेस की नींद हराम किए हुए है। कांग्रेस के परंपरागत वोट अब छिटक कर दूसरी पार्टियों के पास चले गए हैं। ऐसे में इन वोटरों को दोबारा कांग्रेस की तरफ लाने की पीके टीम और कांग्रेस पार्टी पूरी कोशिश में लगी है। मीडिया से बात करते हुए एआईसीसी के सचिव प्रकाश जोशी ने भी बड़ी साफगोई से स्वीकारा-यूपी में कांग्रेस के सामने सिर्फ एक ही चुनौती है-जातिगत सियासत।
इससे पार कैसे पाया जाए इस पर मंथन हो रहा है। उम्मीद है कि 2017 के चुनाव से पहले हम ऐसी रणनीति तैयार कर लेंगे जिससे इस प्रदेश की जनता जाति-धर्म के बजाए विकास परक मुद्दों पर वोटिंग करे।