मॉब लीचिंग से लेकर बेरोज़गारी तक, आज़ाद के तीरो से राज्यसभा में ज़ख़्मी हुई मोदी सरकार

मॉब लीचिंग से लेकर बेरोज़गारी तक,  आज़ाद के तीरो से राज्यसभा में ज़ख़्मी हुई मोदी सरकार

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और राज्य सभा सांसद गुलाम नबी आज़ाद ने राज्य सभा में पीएम मोदी की मौजूदगी में अपने शब्दों के तीरो से मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल से लेकर लोकसभा चुनाव तक सीधे हमले किये। आज़ाद ने यहाँ तक कह दिया कि आपकी तरह हम टीवी से सरकार नहीं चला सकते।

सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष की तरफ से चर्चा की शुरूआत करते हुए गुलाम नबी आज़ाद ने राज्य सभा में अपने भाषण में मॉब लीचिंग से लेकर बेरोज़गारी जैसे अहम मुद्दों पर मोदी सरकार को आईना दिखाया।

हज़ारो साल विपक्ष में बैठने को तैयार:

बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा विपक्ष को सत्ता पक्ष के रास्ते पर चलने की नसीहत के जवाब में आजाद ने कहा कि हम हजारों साल विपक्ष में बैठना मंजूर कर लेंगे, लेकिन आपके रास्ते पर नहीं चलेंगे। हम आपका रास्ता नहीं अपना सकते। आज़ाद ने मोदी सरकार के न्यू इंडिया, सबका साथ सबका विकास और बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ जैसे स्लोगनों पर तीखे कटाक्ष किये।

राज्य सभा में पीएम मोदी की मौजूदगी में गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस की अब तक की सरकारों के कामकाज के उदाहरण भी पेश किये। उन्होंने मोदी सरकार पर सरकारी आंकड़ों को दबाये रखने के गंभीर आरोप भी लगाए।

न्यू इंडिया नहीं ओल्ड इंडिया वापस चाहिए:

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। आज़ाद ने झारखंड में हुई मॉब लिंचिंग की घटना पर कहा कि झारखंड मॉब लिंचिंग का हब बन गया है। कहा कि न्यू इंडिया के कल्चर में इंसान, इंसान का दुश्मन बन गया है। आज आदमी, आदमी से डरता है जंगली जानवर से नहीं डरता है।’

उन्होंने कहा कि पुराना इंडिया कहां गया? हमको ओल्ड इंडिया दीजिए, न्यू इंडिया आप अपने पास रखिए। वो ओल्ड इंडिया जिसमें प्यार था, मोहब्बत थी। आजाद ने कहा, ‘हमें न्यू अमेरिका, न्यू चाइना, न्यू ब्रिटेन नहीं सुना। आधुनिक अमेरिका, चीन, हो सकता है लेकिन न्यू इंडिया नहीं हो सकता है।

चुनी हुई सरकारों को गिराने की कोशिश हो रही है:

गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि आपकी सरकार आने के बाद फेडरलिज्म की अर्थी उठना शुरू हो गई थी। अरुणाचल से लेकर गोवा, मणिपुर में यह सब होते देखा गया है। जहां चुनी हुई सरकार को गिराने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि बंगाल में क्या हो रहा है, विधायक भगाए जा रहे हैं, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में सरकार गिराने की कितनी कोशिशें हो रही हैं। ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई की तलवारें रखी जा रही हैं और कुछ काम नहीं आया तो पैसे का इस्तेमाल हो रहा है।

कांग्रेस ने 70 सालो में क्या किया है पर बीजेपी को घेरा:

गुलाम नबी आज़ाद ने बीजेपी नेताओं के उस बयान पर मोदी सरकार को घेरा जिसमे वे आये दिन कांग्रेस ने 70 सालो में क्या किया का सवाल उठाते हैं। आज़ाद ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में यदि कुछ नहीं हुआ तो ये सैकड़ो बाँध किसने बनाये, ये रेल का जाल देश में किसने बिछाया, ये इतने आईआईटी, विश्वविधालय किसने बनाये ? यदि नेहरू, इंदिरा, राजीव अपने शासनकाल में सो रहे थे तो ये काम कौन कर रहा था ?

नोट बंदी और बेरोज़गारी पर सरकार को घेरा:

गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि अपने बिना सोचे समझे नोट बंदी लागू कर दी। जिन लोगों के हाथो में रोज़गार था उनसे रोज़गार छीन लिया और आप नई नौकरियां दे नहीं पाए। आज़ाद ने कहा कि बेरोज़गारी पर सरकारी आंकड़ों को आपने छिपा लिया। आप ही की सरकार के मंत्रालयों के आंकड़ों के हिसाब से देश में पिछले 45 सालो में कभी इतनी बेरोज़गारी नहीं हुई जितनी आपके पांच साल के शासनकाल में हो गयी।

सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास:

गुलाम नबी आज़ाद ने मोदी सरकार के स्लोगन सबका साथ सबका विपक्ष और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ पर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की। आज़ाद ने कहा कि आपकी सरकार के पास पूर्ण बहुमत है। आप बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की बातें करते हैं तो महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए पहल क्यों नहीं की।

आज़ाद ने पीएम मोदी को इंगित कर कहा कि प्रधानमंत्री जी आपने सबका साथ सबका विकास में सबका विश्वास भी जोड़ दिया है। लेकिन ये आशा की धुंधली तस्वीर जैसा है। ये बिलकुल साफ़ होनी चाहिए। आज़ाद ने कहा कि दो तरह की तस्वीरें नहीं चलेंगी कि आप विश्वास की बात कहें और आपके लोग वही करते जाएँ जो आजकल हो रहा है।

साध्वी प्रज्ञा पर भी घेरा:

आज़ाद ने कहा कि सरकार राष्ट्रपिता की 150 जयंती मनाने जा रही है, लेकिन भाजपा के एक प्रत्याशी ने चुनाव के दौरान राष्ट्रपिता के कातिल को कातिल मानने से इनकार कर दिया। भाजपा के प्रत्याशी ने उस कातिल को कातिल के बजाय देशभक्त बताया। जबकि प्रधानमंत्री को चाहिए था कि अपने उस प्रत्याशी को तत्काल पार्टी से निकालते और चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी होने से खारिज करते। गुलाम नबी ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू द्वारा लिए गए एक फैसले का हवाला दिया, जहां उन्होंने कांग्रेस की बजाय निर्दलीय को जिताने की अपील कर दी थी।

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