मुस्लिमों से ज्यादा हिन्दू परिवार कराते हैं नाबालिग लड़कियों की शादी

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नई दिल्ली । कम उम्र में शादी का रिवाज़ प्राचीन समय से प्रचलित है । आज आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी देश के कई राज्यों में बाल विवाह की प्रथा मौजूद है । आंकड़े बताते हैं नाबालिंग लड़कियों की शादी के मामले में हिन्दू समुदाय मुस्लिमो से आगे है ।

साल 2011 के जनसंख्या आंकड़ों की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर तीन शादीशुदा महिलाओं में से एक की शादी 18 साल की उम्र से पहले हुई है। चौंका देने वाली बात तो यह है कि 78.5 लाख लड़कियों की शादी तो 10 साल की उम्र से पहले ही करा दी गई ।

साथ ही आंकड़ों से यह भी पता लगा है कि सभी शादीशुदा महिलाओं में से 91 फीसदी की शादी 25 साल की उम्र से पहले ही हो गई थी। आंकड़ों में एक बात और सामने आई है कि बाल विवाह का आंकड़ा मुस्लिमों से भी हिंदू धर्म में है। शादी के लिए कानूनी उम्र लड़की के लिए 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष है ।

आंकड़ों के मुताबिक 30.2 फीसदी शादीशुदा महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले ही हो गई थी। हालांकि, यह आंकड़ा पिछले दशक में ज्यादा था। साल 2001 के आंकड़ों में ऐसी महिलाओं की संख्या 43.15 फीसदी थी।

कम उम्र में शादी की यह प्रथा लगभग सभी समुदायों में पाई जाती है। आंकड़ों के मुताबिक कम उम्र में लड़की की शादी के आंकड़े हिंदू और मुस्लिम समुदाय में लगभग बराबर हैं। 31.3 फीसदी हिंदू महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई, जो कि साल 2001 में 45.1 फीसदी थीं। वहीं मुस्लिम समुदाय की बात की जाए तो यहां ऐसी महिलाओं की संख्या 30.6 फीसदी है जो कि साल 2001 में 43.1 फीसदी थीं।

ईसाई धर्म में 12 फीसदी महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई। यह आंकड़ा साल 2001 में 16.4 फीसदी था। वहीं सिख धर्म में भी ऐसी महिलाओं की संख्या साल 2001 के 17 फीसदी से घटकर 10.9 फीसदी रह गई है। बुद्ध धर्म में 27.8 फीसदी और जैन धर्म में 16.2 फीसदी महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई।

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TeamDigital