बीजेपी नेताओं ने पत्रकारों को धमकाया, कहा ‘पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या से लें सबक’

बीजेपी नेताओं ने पत्रकारों को धमकाया, कहा ‘पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या से लें सबक’

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता चौधरी लाल सिंह ने कश्मीर के पत्रकारों को खुली धमकी दी है। लाल सिंह ने पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या का उल्लेख करते हुए पत्रकारों को धमकाया।

उन्होंने कहा कि कश्मीर के पत्रकार जम्मू के माहौल को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। उन्हें इससे दूर रहना चाहिए और एक सीमा खींचनी चाहिए। लाल सिंह ने कहा, ‘कश्मीर के पत्रकारों ने यहां गलत माहौल पैदा कर दिया था। क्या वे यहां ऐसे रहना चाहते हैं? ऐसे रहना है जैसे शुजात बुखारी के साथ हुआ है। इसलिए अपने आपको संभाले और एक लाइन ड्रा करें ताकि भाईचारा बना रहे और राज्य की तरक्की होती रहे।’

पत्रकारों से बातचीत के दौरान लाल सिंह के इस बयान पर अब पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी को घेरते हुए कड़ी आलोचना की है। बता दें कि 14 जून को श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव इलाके में वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की आतंकियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। वह यहां के स्थानीय अखबार राइजिंग कश्मीर के संपादक थे। इसके चंद दिनों के अंदर बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान करते हुए 19 जून को महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।

लाल सिंह के इस बयान का एक वीडियो ट्वीट करते हुए राज्य के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘प्रिय पत्रकारों, कश्मीर में आपके सहयोगियों को बीजेपी के एक विधायक ने धमकी दी है। लगता है शुजात बुखारी की मौत अब गुंडों के लिए दूसरे पत्रकारों को डराने का जरिया बन गई है।’

गौरतलब है कि इससे पहले बीजेपी नेता चौधरी लाल सिंह के भाई भी पूर्व सीएम महबूबा मुफ़्ती को लेकर विवादित टिप्पणी कर चुके हैं। जम्मू संभाग के कठुआ में आयोजित एक रोड शो के दौरान लाल सिंह के भाई राजेंद्र सिंह उर्फ बब्बी ने महबूबा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केस दर्ज किया था।

इस केस के बाद राजेंद्र सिंह फरार हो गए थे, जिस पर सरकार ने उनके घर पर एक नोटिस भी भेजा था। गौरतलब है कि विवादित बयान देने वाले लाल सिंह जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के एक शीर्ष नेता के रूप में जाने जाते हैं। लाल सिंह को कठुआ गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में आयोजित एक रैली में शामिल होने के बाद विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

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