पत्नी की लाश को कंधे पर ले जाने वाले दाना मांझी को बहरीन के प्रधानमंत्री से मिले 8.9 लाख रुपये

नई दिल्ली । ओड़िशा में अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर रखकर 12 किमी तक ले जाने वाले दाना मांझी को बहरीन के प्रधानमंत्री प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा ने 8.9 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी है। एक बहरीन दीनार 178 भारतीय रुपए के बराबर होता है। दाना मांझी को पैसों का चेक गुरुवार (15 सितंबर) को मिला।

पैसों का चेक लेने के लिए दाना मांझी को दिल्ली में बनी बहरीन एंबेसी आना पड़ा था। उन्हें एयर इंडिया की फ्लाइट से भुवनेश्वर से दिल्ली लाया गया था। वह अपनी सबसे छोटी बेटी के साथ आए थे। अपने घर के लिए फ्लाइट पकड़ने से पहले मांझी ने मीडिया को बताया कि वह पैसों को बचाकर रखेंगे और उसे अपनी बेटियों के लिए इस्तेमाल करेंगे। मांझी ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं। मैं इस पैसे को बैंक में रखूंगा और अपनी तीनों बेटियों की पढ़ाई के लिए इसे इस्तेमाल करूंगा। मैं आशा करता हूं कि उन्हें अच्छी शिक्षा और नौकरी मिलेगी।’

गौरतलब है कि ओड़िशा के कालाहांडी जिले में रहने वाले आदिवासी दाना मांझी की 42 वर्षीय पत्नी को टीबी था और उनको इलाज के लिए भवानीपटना के जिला अस्पताल लाया गया था जहां उनकी मृत्यु हो गयी थी। दाना मांझी को मृत पत्नी को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली थी, जिसके बाद दाना ने पत्नी के शव को चटाई और चादर में लपेटा और कंधे पर लेकर 12 साल की बेटी के साथ गांव की ओर चल पड़ा।

पत्नी को कंधे पर ले जाते मांझी की तस्वीर और वीडियो मीडिया में आने के बाद इस मामले पर काफी विवाद हुआ। घटना की खबर मिलने के बाद बहरीन के प्रधानमंत्री भी दुखी हो गए थे। उन्होंने तब ही मांझी को वित्तीय सहायता देने का ऐलान कर दिया था।

मांझी को भारतीय संगठनों की तरफ से भी आर्थिक मदद मिली है। जिला प्रशासन के मांझी को 75 हजार रुपए दिए हैं। यह पैसा उन्हें प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत दिया जाएगा। जिला प्रशासन ने उनकी तीनों लड़कियों को सरकारी स्कूल में दाखिला भी दिलवा दिया है, साथ ही हॉस्टल की भी सुविधा दी गई है। वहीं रेड क्रॉस ने उन्हें 50 हजार रुपए देने का वादा किया है।

सुलभ इंटरनेशनल ने उनके नाम से एक फिक्स डिपोजिट खोला है। उनकी बेटियों के लिए हर महीने 10 हजार रुपए देने की बात कही गई है। वहीं एक अनजान शख्स ने भी उनके बैंक अकाउंट में 80 हजार रुपए जमा करवा दिए हैं। पैसे मिलने के बाद मांझी ने कहा, ‘मैं एक आदिवासी हूं। मुझे एक लाख का मतलब भी नहीं पता। मुझे मेरे पड़ोसी ताने मारते हैं कि मैं अमीर बन गया हूं। यह मुझे सबसे ज्यादा दुख पहुंचाता है।’

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