तीन राज्यों में एंटी इनकंबेंसी से जूझ रही बीजेपी, मध्य प्रदेश में सवर्ण बने सिरदर्द

तीन राज्यों में एंटी इनकंबेंसी से जूझ रही बीजेपी,  मध्य प्रदेश में सवर्ण बने सिरदर्द

नई दिल्ली(राजाज़ैद)। देश के तीन अहम राज्यों मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस वर्ष के अंत तक होने जा रहे विधानसभा चुनावो में साफ़ तौर पर एंटी इनकंबेंसी फेक्टर देखा जा सकता है।

तीनो ही राज्यों में बीजेपी की सरकार हैं और एंटी इनकंबेंसी से जूझने की हर कोशिश में लगी बीजेपी नाकाम साबित हो रही है। खास वजह मतदाताओं की जागरूकता और बीजेपी की आतंरिक कलह के अलावा वे राष्ट्रीय मुद्दे हैं जिन पर बीजेपी के पास कोई जबाव नही है।

जहाँ एक तरफ पेट्रोल, डीजल की बढती और रुपये की गिरती कीमत बीजेपी के गले की हड्डी बन गए हैं वहीँ दूसरी तरफ राज्यों में विकास के दावे धरातल पर हुए कामो से मेल नही खा रहे।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में खुले तौर पर बीजेपी का विरोध देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश में बीजेपी की विकास यात्रा के बाद सीएम शिवराज सिंह जन आशीर्वाद यात्रा भी विवादों से खुद को बचा नही सकी और कई इलाको में स्वयं सीएम शिवराज सिंह को भी जनता का विरोध झेलना पड़ा है।

वहीँ दूसरी तरफ राजस्थान में भी सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया की गौरव यात्रा का भी राजस्थान के कई इलाको में जमकर विरोध हुआ। यहाँ तक कि उनकी गौरव यात्रा पर पथराव तक किया गया। राजस्थान में बीजेपी के लिए सिर्फ एंटी इनकंबेंसी ही एक मुसीबत नही है बल्कि पार्टी की आन्तरिक कलह से भी उसे जूझना पड़ रहा है।

वहीँ छत्तीसगढ़ में मिशन 65प्लस के दावे के साथ मैदान में उतरी बीजेपी को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि बीजेपी चुनाव में अधिकतर सीटों पर युवा चेहरों को उम्मीदवार बनाकर एंटी इनकंबेंसी से निपटना चाहती थी लेकिन फ़िलहाल जो स्थति दिख रही है उसे देखकर लगता नही है कि उम्मीदवार बदले जाने से बीजेपी एंटी इनकंबेंसी से निपट पाएगी।

तीनो ही राज्य में महंगाई, बेरोज़गारी के अलावा महिला सुरक्षा और भ्रष्टाचार भी बड़े मुद्दे हैं। चुनावी इतिहास में शायद यह पहली बार ही होगा कि स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दे भारी पड़ रहे हैं और मतदाता अपने जनप्रतिनिधियों से उनके वादों को लेकर सवाल पूछ रहे हैं।

वहीँ दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए एससी/एसटी एक्ट एक बड़ी मुसीबत बनकर सामने आया है। कभी बीजेपी का परम्परागत वोट कहा जाने वाला सवर्ण समाज एससी/एसटी एक्ट में किये गए संशोधन को लेकर बीजेपी के विरोध की मुहिम चला रहा है।

पिछले दिनों एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में सवर्ण संगठनों द्वारा बुलाया गया भारत बंद मध्य प्रदेश के कई इलाको में सफल रहा था। ब्राह्मणों, राजपूतो और वैश्यों से जुड़े संगठन एससी/एसटी एक्ट में किये गए संशोधन के लिए मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। सवर्ण संगठनों का विरोध विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी पड़ सकता है।

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TeamDigital