जब अचानक रिक्शेवाले के घर पहुंचे डीएम साहब, साथ किया इफ्तार
मुरादाबाद । शुक्रवार शाम यानि जुमे का दिन , नया गांव में रहने वाले एक रिक्शा चालक ने सोचा भी न था कि आज उसके साथ रोज़ा इफ्तार करने कोई ऐसा व्यक्ति आ सकता है जो जिले का मालिक कहलाता है । इफ्तार का वक़्त लगभग हो चुका था कुछ ही समय बाकी था कि रिक्शा चलाने वाले निजामुद्दीन के दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी ।
दरवाज़ा खोल तो निजामुद्दीन ने देखा एक व्यक्ति एक महिला के साथ दरवाज़े पर खड़ा है । महिला को साथ देखकर निजामुद्दीन ने अपनी पत्नी को भी दरवाज़े की तरफ बुला लिया । निजामुद्दीन और उसकी पत्नी पहचान न सके कि दरवाज़े पर खड़े पति पत्नी कौन हैं ।
तभी जिलाधिकारी जुहैर बिन सगीर ने इशारा करते हुए निजामुद्दीन से कहा कि हम आपके यहाँ रोज़ा इफ्तार करने आये हैं । निजामुद्दीन सहम सा गया तभी मोहल्ले एक न्यूज़पेपर बेचने वाले हॉकर ने जिलाधिकारी जुहैर बिन सगीर को पहचान लिया और निजामुद्दीन से कहा कि ये अपने डीएम साहब हैं ।
बस फिर क्या था निजामुद्दीन ने डीएम जुहैर बिन सगीर का हाथ पकड़ लिया और उन्हें अंदर ले गया । जिलाधिकारी जुहैर बिन सगीर और उनकी पत्नी ने रिक्शा चालक निजामुद्दीन के परिवार के साथ ज़मींन पर सिर्फ इफ्तार ही नहीं किया बल्कि उस परिवार की हर संभव मदद भी की. जिलाधिकारी ने न केवल उसके साथ रोजा अफ्तार किया बल्कि उसके घर में बैठकर उसके हाल-चाल पूछे आर्थिक मदद की और मिठाई, फल, खाने-पीने का सामान और ईद पर पूरे परिवार को नये कपड़े भी दिये ।
जिलाधिकारी ने निजामुद्दीन के परिवार से उसकी समस्यायें पूछी और हर प्रकार से उसकी मदद की. आने वाली ईद पर पूरे परिवार को कपड़े दिये और आर्थिक मदद भी ईदी के रूप में दी और बाद में निजामुद्दीन ने जिलाधिकारी की बेगम को पहचान लिया और कहा कि जब मेमसाब ने गरीबों को इमदाद बांटी थी तो उसका परिवार भी इमदाद लेने गया था ।