गौरक्षा के नाम पर गोरखधंधा, कहाँ खर्च हो रहा पैसा !

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ब्यूरो (राजा ज़ैद खान) । हरियाणा सरकार द्वारा गौवंश के वध पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाए जाने के बाद अब गौरक्षा के नाम पर कथित संगठनों की मौज आ गई है । वर्ष 2015 में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के गठन के साथ ही गौरक्षा, गौ सेवा और गौ कल्याण के नाम पर अचानक सैकड़ो संगठन पैदा हो गए । इतना ही नहीं गौ रक्षा और गौ सेवा के नाम पर रातो रात चंदे की रसीदें भी छपवा ली गईं ।

गौ रक्षा के नाम पर कुछ कथित लोगों द्वारा महज दादागीरी और ट्रकों को रोककर चैकिंग की जाने लगी । इतना ही नहीं ट्रकों को रुकवाकर गौ रक्षा के नाम पर ट्रक ड्राईवरों से उगाही भी की गई । पिछले दिनों गौ मांस के संदेह में एक ट्रक को रोक कर उसके ड्राइवर से न सिर्फ मारपीट की गई बल्कि उसमे आग भी लगा दी गई ।

गौ रक्षा के नाम पर दादागीरी और अवैध उगाही की बात यहीं समाप्त नहीं हुई कि कुछ संगठनों ने गौ रक्षा के नाम पर धन जमा करने के लिए दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के ठिकानो पर अपने धंधे को परवान चढ़ाना शुरू कर दिया ।

गौरक्षा के नाम पर शुरू हुआ गोरक्ष धंधा यहीं ख़त्म नहीं हुआ । पैसे उगाने के लिए दवा की दुकानों, ढावों और रेस्टॉरेंट पर गौ रक्षा के नाम पर पैसे इकट्ठे करने के लिए बॉक्स लगा दिए गए । इन बॉक्स में दिखावे के लिए कुछ पैसे अपनी जेब से डाल दिए जिससे लोग उसकी तरफ आकर्षित हों और उसमे चंदा डालें ।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या गौ रक्षा और गौ सेवा के नाम पर पैसे उगाह रहे ये संगठन पंजीकृत हैं तथा क्या लोगों से बसूला गया पैसे सच में गौ सेवा के काम पर खर्च किया जा रहा है ?

हरियाणा एक सम्पन्न प्रदेश माना जाता है । यहाँ किसान अपनी गायों का भरण पोषण स्वयं कर सकने में सक्षम है । दूसरा सच रजिस्टर्ड गौ शालाओं को गायों की देख रेख के लिए सरकार से मदद दी जाती है । फिर यह सवाल पैदा होता है कि गौ सेवा के नाम पर उगाही कर रहे लोग उस पैसे को किसके ऊपर खर्च कर रहे हैं ।

लोगों से छानबीन के दौरान एक सच यह भी सामने आया है कि गौशालाओं और गौ सेवा के नाम पर उगाही कर रहे अधिकांश लोगों का गौशालाओं से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है । ये वे लोग हैं जिन्हे किसी न किसी राजनैतिक नेता का आशीर्वाद प्राप्त है और वे गौ सेवा के नाम पर सिर्फ धन एकत्रित कर रहे हैं ।

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