इस समुदाय में कभी विधवा नहीं होती महिलाएं

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ब्यूरो । आज भी भारत में कईं ऐसी पुरानी मान्यताएं हैं जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। भारत में आज भी विधवा महिलाओं को दूसरी शादी की अनुमति नहीं हैं वहीं मध्यप्रदेश में एक ऐसा समुदाय है जहां की महिलाएं पति की मौत के बाद कभी विधवा नहीं होती। इसके लिए चाहे दादी को अपने पोते से शादी करनी पड़े या भाभी को अपने देवर से ही शादी क्यों न करनी पड़े।

मध्यप्रदेश में बेहंगा में रहने वाले गोंड समुदाय में आपको कोई भी विधवा नहीं मिलेगी। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इस समुदाय में यदि किसी महिला के पति की मौत हो जाती है तो उसकी शादी घर के कुंवारे लड़के से करा दी जाती है।

अगर कोई महिला दोबारा शादी करने से मना करती है तो उसे विशेष तौर पर तैयार किए गए चांदी के कड़े दिए जाते हैं, जिसके बाद उसे वापस शादीशुदा का दर्जा मिल जाता है और ये कड़े जिसने महिला को सौंपे हैं वो ही फिर उसकी पूरी जिम्मेदारी उठाता है।

गोंड समाज की ही सुंदरो बाई (75) की शादी उनके दस साल छोटे देवर से की दी गई थी। सुंदरों बताती हैं कि शादी के दो साल बाद ही उनके पति की मौत हो गई जिस कारण परंपरा के मुताबिक उनकी शादी घर में मौजूद उनके देवर से की गई। इसके लिए उनका देवर तैयार नहीं हुआ तो घर के बुजुर्गों ने उनके मृत पति के श्राद्ध में खाना खाने से मना कर दिया था। जिसके बाद देवर मान गया और उसने ‘देवर पातो’ रीत को निभाते हुए सुंदरो बाई से शादी कर ली और आज उनका वैवाहिक जीवन अच्छा चल रहा है।

इसी समाज के 42 वर्षीय पतिराम वारखेड़े के दादा के गुजर जाने के नौ दिन बाद ही ‘नाति पातो’ परंपरा का पालन करते हुए उसकी शादी उसकी दादी से करा दी गई थी। इसके बाद से वो परिवार में होने वाले सभी कार्यक्रमों में बतौर पति-पत्नी ही शामिल होते थे। इतना ही नहीं इस तरह की शादी में दादा की मौत के बाद दादी से शादी करने पर पोते को ही घर का मुखिया माना जाता है, फिर चाहे उसके पिता जिंदा हों या नहीं।

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