अब जनरल विपिन रावत के बयान पर घिरी सरकार, येचुरी ने कहा “सच्चाई बताएं पीएम मोदी”
नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ (सीडीएस) जनरल विपिन रावत द्वारा दिया गया बयान अब सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ा कर सकता है। गौरतलब है कि जनरल विपिन रावत ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि “देश में कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर चलाए जा रहे हैं। पाकिस्तान में भी ऐसे शिविर हैं।”
जनरल रावत के बयान पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने मोदी सरकार की घेराबंदी की है। सीताराम येचुरी ने कहा कि “हम मोदी सरकार से मांग करते हैं कि वह इस मामले में खुद को स्वच्छ घोषित करे और देश को बताए कि क्या इस तरह के कैंप चल रहे हैं या नहीं। अगर ऐसा है तो क्या सेना इन्हें चला रही है? अगर ऐसा होता है तो यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ सबसे बड़ी प्रक्रिया का हिस्सा होगा।”
येचुरी ने कहा कि सेना के कमांडर घरेलू राजनीति में घुस रहे हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को इस मामले की सच्चाई सार्वजनिक करनी चाहिए।
वहीँ येचुरी ने केंद्रीय समिति की तीन दिवसीय बैठक के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ‘माकपा की केंद्रीय समिति ने लोगों से अपील की कि वे एनपीआर के सवालों का जवाब नहीं दें। येचुरी ने कहा कि केंद्रीय समिति ने लोगों से आह्वान किया कि जब जनगणना करने वाले घर आएं तो वे एनपीआर से जुड़े किसी सवाल का जवाब नहीं दें।’
माकपा महासचिव ने कश्मीर में इंटरनेट सेवा को गैर जरूरी बताने वाले नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत को देश के संविधान को विस्तार से पढ़ने की नसीहत दी। येचुरी ने सारस्वत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘यह व्यक्ति नीति आयोग के सदस्य हैं। उन्हें खुद को अपडेट करने के लिए भारत का संविधान पढ़ने की जरूरत है और वह प्रस्तावना से इसकी शुरुआत कर सकते हैं।’
क्या कहा था जनरल विपिन रावत ने:
रायसीना डायलॉग’ को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल रावत ने कश्मीर में हालात का जिक्र करते हुए कहा था कि घाटी में 10 और 12 साल के लड़के-लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है, जो चिंता का विषय है।
जनरल रावत ने कहा था, ‘इन लोगों को धीरे-धीरे कट्टरपंथ से अलग किया जा सकता है। हालांकि, ऐसे लोग भी हैं जो पूरी तरह कट्टरपंथी हो चुके हैं। इन लोगों को अलग से कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर में ले जाने की आवश्यकता है।’ इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘देश में कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर चलाए जा रहे हैं। पाकिस्तान में भी ऐसे शिविर हैं।’