नागरिकता कानून के विरोध में यशवंत सिन्हा मुंबई से दिल्ली तक करेंगे ‘गांधी शांति यात्रा’

नागरिकता कानून के विरोध में यशवंत सिन्हा मुंबई से दिल्ली तक करेंगे ‘गांधी शांति यात्रा’

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने एलान किया है कि वे नागरिकता कानून के विरोध में मुंबई से दिल्ली तक गांधी शांति यात्रा करेंगे। इस यात्रा का आयोजन यशवंत सिन्हा के संगठन राष्ट्मंच के तत्वाधान में किया जाएगा।

शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए यशवंत सिन्हा ने बताया कि गांधी शांति यात्रा की शुरुआत 9 जनवरी को मुंबई से होगी और 21 दिनों तक कई राज्यों से होती हुई 30 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर संपन्न होगी।

सिन्हा ने कहा कि ‘मैं सभी से भारत सरकार की ज्यादती और असांविधानिक फैसलों के खिलाफ विरोध करने की अपील करता हूं। इसके मद्देनजर राष्ट्र मंच यात्रा का आयोजन करेगा, जो महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से होकर गुजरेगी।’

उन्होंने कहा कि इस यात्रा में अलग अलग राज्यों में देश के प्रभुत्व नागरिक, राजनैतिक दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धजीवी शामिल होंगे। सिन्हा ने कहा कि हमे देश को बांटने की कोशिश में लगी ताकतों को बेनकाब करना होगा तभी इस देश का लोकतंत्र ज़िंदा रहेगा। प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता मौजूद थे।

वहीँ नागरिकता कानून को लेकर आज भी देश के कुछ राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी रहे। वहीँ दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह ने दो टूंक शब्दों में कहा है कि सरकार नागरिकता कानून को लागू करने से एक इंच भी पीछे नहीं हटेगी।

नागरिकता कानून के खिलाफ अब तक 59 याचिकाएं दायर:

नागरिकता कानून को लेकर अब तक सुप्रीमकोर्ट में 59 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इसी क्रम में शनिवार को भी एक याचिका दायर की गई है।

एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ फंडामेंटल राइट्स द्वारा दायर याचिका में कानून को संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए अंतरिम रोक लगाने की मांग की है। साथ ही संगठन ने केंद्र सरकार को एनआरसी की तैयारी से दूर रहने का निर्देश देने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि एक बार नागरिकता मिल गई तो बाद में अगर कानून को असांविधानिक ठहरा भी दिया जाता है, तो उस व्यक्ति की नागरिकता वापस लेना मुश्किल हो जाएगा।

याचिका में कहा गया कि यह कानून, इसके प्रावधान और इसकी अधिसूचना अनुच्छेद 13,14,15,21 का उल्लंघन है और मनमाना है। कानून में धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात है, लिहाजा यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत और संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। यह मुस्लिमों के साथ भेदभाव वाला है।

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TeamDigital