पढ़िए: पीएम मोदी ने ऐसा क्या कहा कि माफ़ी की मांग कर रहा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
नई दिल्ली। जनवरी महीने के शुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ चुनिंदा फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में फार्मा कंपनियों द्वारा अपनी कंपनी की दवाईयों को लिखने के लिए डॉक्टरों को प्रलोभन देने का ज़िक्र किया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का आरोप है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि फार्मा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां, गिफ्ट और टूर पॅकेज ऑफर करते हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मंगलवार को पीएम मोदी के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए एक प्रेस रिलीज जारी किया। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी या तो डॉक्टरों को लड़कियां ऑफर किये जाने की बात साबित करें अन्यथा माफ़ी मांगें।
देश के डॉक्टरों से जुडी सबसे बड़ी ओर्गनाइजेशन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने प्रेस रिलीज में कहा कि ”मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान में कहा है कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों ने रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं हैं। आईएमए इस पर कड़ी आपत्ति जताता है अगर ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा है।”
प्रेस रिलीज में साफतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लेकर कहा गया है कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन आरोपों को साबित करें या माफ़ी मांगें, जिसमें उन्होंने कहा था कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं। अगर प्रधानमंत्री अपनी बात साबित नहीं कर पाते तो उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए।”
प्रेस रिलीज में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि ”हम जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास उन कंपनियों की जानकारी थी जो डॉक्टरों को लड़कियां उपलब्ध कराती हैं, और अगर थी तो उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक में बुलाने के बजाय आपराधिक मामला दर्ज क्यों नहीं कराया गया।”
वहीँ IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा और सेक्रेटरी जनरल डॉ. आरवी असोकन के हस्ताक्षर वाली विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि पीएमओ ऐसे डॉक्टरों के नाम भी जारी करे, साथ ही राज्यों की मेडिकल काउंसिल ऐसे डॉक्टरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करे।
आईएमए का कहना है कि उसे उम्मीद है सरकार इन आरोपों को साबित कर पाएगी लेकिन अगर प्रधानमंत्री की ओर से आया ये बयान बिना किसी सत्यता को परखे दिया गया है तो उन्हें तत्काल माफ़ी मांगनी चाहिए। आईएमए ने यह भी कहा कि इस तरह के बयानों का मक़सद देश में लोगों के स्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा को बेहतर बनाने के अनसुलझे मुद्दों से भटकाना है।