बेहद संभावनाओं से भरे राज्य बिहार की इस दुर्दशा का ज़िम्मेदार कौन?

बेहद संभावनाओं से भरे राज्य बिहार की इस दुर्दशा का ज़िम्मेदार कौन?

ब्यूरो (डा मश्कूर अहमद उस्मानी)। कोरोना संकट के दौरान जो भयंकर पलायन की तस्वीरें और कहानियां सामने आई हैं वो भयानक हैं, पलायन करने वालों में सबसे ज़्यादा संख्या बिहार राज्य की है। यह देखना कितना दुख देने वाला है कि जिस राज्य के लोगों ने पूरे देश को बनाया, जिनके बड़े बड़े महल, कारखानों को बिहार के मज़दूरों ने खड़ा किया उंनको संकट आते ही इस देश ने नकार दिया और मरने के लिए सड़कों और छोड़ दिया, पर बिहार के मज़दूरों की इस हालत का जिम्मेदार कौन है?

यह मज़दूर रोज़गार के अभाव में मजबूर बनकर दूसरे राज्यों को जाते हैं तो सवाल यह उठता है कि क्या बिहार के पास ऐसा कुछ नहीं है जो वो अपने यहां के लोगों को अपने ही राज्य में रोज़गार दे सके?

बिहार की जनसंख्या लगभग 12 करोड़ है और आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस बिहार का युवा आज देश भर में धक्के खाने को मजबूर है उस बिहार के पास वो सब कुछ है जिससे वो अपने ही राज्य में रहकर आराम से रोज़गार पा सकता है फल फूल सकता है।

गया, दरभंगा, भगालपुर, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों ने भरपूर क्षमता थी आईटी ऐंड टेक्नोलॉजी हब बनने की, हमारे पास खनिज नहीं पर खेती तो है उस खेती के लिए मानव संसाधन तो हैं। हमारे यहां एग्रीकल्चर बेस्ड इंडस्ट्री की अगाध संभावना है।

कितने अफसोस की बात है कि हमारे पुराने चीनी मिल, पेपर मील, जूट मील, सूत मील भागलपुर सिल्क खाद्य प्रशंसकरन उद्योग बन्द-वीरान पड़े हैं, सरकार ने इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जबकि यह वो कुबेर के खजाने हैं जो अगर खुल जाएंगे तो न जाने कितने ही लोगों को अपने ही राज्य में रोज़गार मिल जाएगा। मखाना हो आम, केला, लीची हो इन सबके दम पर दर्जनों फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट्स लग सकते हैं पर सरकार ने इस ओर से एकदम आंखें मूंद रखी हैं।

बिहार में हर साल बाढ़ सिर्फ तबाही लाती है पर यही बाढ़ और नदियां हमारे लिए वरदान साबित हो सकती हैं, जल संसाधन और संरक्षण से न कवक बिहार अपने खेतों में सिंचाई कर सकता है बल्कि जल प्रबंधन से विकास के सैकड़ों रास्ते खुलेंगे वो अलग, पर घटिया विजनलेस, मज़दूर-विरोधी सरकार के पास इस पर बात करने के लिए समय नहीं है।

खेती जो आज बीमारू क्षेत्र बना हुआ है उसी क्षेत्र पर काम कर पंजाब जैसे राज्यों ने विकास की एक नई गाथा लिखी है। बिहार में इतनी क्षमता है कि अगर किसानों को कृषि को लेकर शिक्षित किया जाए, हर खेत मे पानी पहुंचाया जाए, कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए तो बिहार एक ऐसा राज्य है जो कवक कृषि के दक पर विकास की नई इबारत लिखने की क्षमता रखता है। पशुपालन, डेयरी, मसत्स्य -कुक्कुट पालन जैसे क्षेत्र अथाह संभावनाओं वाले क्षेत्र थे पर इनकी संभावनाओं की मय्यत उठायी सरकार ने।

अब अगर पर्यटन पर ही नज़र डालें तो तमाम ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के पर्यटन स्थल होने के बावजूद बिहार कभी अपने पर्यटन उद्योग को मजबूत नहीं कर पाया, लाखों रोज़गार की संभावना वाला क्षेत्र भी सरकारी उपेक्षा का शिकार है। कला, भाषा, संस्कृति अपने आप मे एक बड़ी संभावनाएं रखती हैं लेकिन दुष्ट और बेकार सरकार इन तमाम संभावनाओं का लगातार गला घोंटती रही है ।

12 करोड़ की बड़ी जनसख्या पर ज़रा नज़र डालिये हमारे पास सस्ते मज़दूर उपलब्ध हैं यदि इन पर ध्यान दिया जाए तो बिहार अगले दस साल में सर्विस सेक्टर हब बन सकता है..

तो आइए इस बार मज़दूरों के बहते खून और रोती आंखों को ध्यान में रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम वोट जाति, धर्म, नेता देख कर नहीं बल्कि रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग जैसे मुद्दों पर देंगें…..

लेखक अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं।


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